अयोध्या केस : हफ्ते में 5 दिन सुनवाई के पक्ष में नहीं मुस्लिम बोर्ड, दिया ये तर्क

अयोध्या केस : हफ्ते में 5 दिन सुनवाई के पक्ष में नहीं मुस्लिम बोर्ड, दिया ये तर्क
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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई हफ्ते में तीन दिन के बजाय पांच दिन करने का फैसला लिया है। ऐसा पहला मौका है जब देश की संवैधानिक बेंच किसी मामले की सुनवाई हफ्त में पांच दिन करने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष ने नाराजगी जाहिर की है।

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई हफ्ते में तीन दिन के बजाय पांच दिन करने का फैसला लिया है। ऐसा पहला मौका है जब देश की संवैधानिक बेंच किसी मामले की सुनवाई हफ्त में पांच दिन करने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष ने नाराजगी जाहिर की है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से इस फैसले पर असमर्थता जाहिर की गई है। मुस्लिम पक्ष के वकील आर. धवन ने कहा कि वह हफ्ते में पांच दिन सुनवाई के लिए कोर्ट की मदद नहीं कर सकते हैं। धवन ने कहा कि ये कोई एक हफ्ते का मामला नहीं है। बल्कि लम्बे समय तक चलने वाला केस है।

धवन ने कहा कि दिन-रात अनुवाद के कागजात पढ़ने होते हैं साथ ही कई और तैयारियां करनी होती है। इसलिए हफ्ते में तीन दिन ही केस की सुनवाई होनी चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमने आपकी बात सुन ली है जल्द ही विचार करके बताएंगे।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों केस के निपटारे तक लगातार सुनवाई का रास्ता अपनाया। 6 अगस्त से सुनवाई शुरू हुई। गुरूवार को चीफ जस्टिस ने कहा फैसला लिया कि अब मंगल-बुध-गुरुवार ही नहीं बल्कि हफ्ते में पांच दिन केस को सुना जाएगा।

पिछले तीन दिन से हो रही सुनवाई में अभी तक रामलला निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने तमाम पौराणिक तथ्यों को अदालत के सामने रखा। 5 सदस्यीय पीठ ने कई काउंटर सवाल पूछे।

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