अयोध्या मामले में आस्था की जगह इन सबूतों के आधार पर दिया फैसला, इसलिए दी गई मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में जमीन

इन बिंदुओं के आधार पर दिया गया हिंदुओं के पक्ष में फैसला
- हिंदुओं की आस्था गलत होने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
- हिंदू गुंबद के नीचे रामस्थान मानते हैं।
- एएसआई की रिपोर्ट में 12वीं सदी के मंदिर होने का जिक्र किया गया है।
- अयोध्या में रामजन्म के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया।
- बाहरी आहते में पूजा करते थे हिंदू, इसलिए वहां हिंदूओं का अधिकार।
- हिंदू सीता रसोई में पूजा करते थे।
- हिंदू 1885 से बाहरी चबूतरे पर पूजा करते थे।
इस वजह से किया गया मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज
- 12वीं से 16वीं सदी तक वहां क्या था इसका कोई सबूत नहीं दिया गया।
- मुस्लिम के पास जमीन पर विशेष कब्जा होने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
- मुस्लिन पक्ष जमीन पर अपना एकाधिकार साबित नहीं कर पाया।
- 18वीं सदी तक विवादित जगह पर नमाज का कोई रिकॉर्ड नहीं मौजूद है।
- अंग्रेजों के समय तक नमाज का कोई सबूत नहीं है।
- बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी।
- एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद का जिक्र नहीं किया।
इस वजह से दी गई मुस्लिमों को अयोध्या में वैकल्पिक जमीन
- दिसंबर 1949 तक मुस्लिम शुक्रवार को नमाज पढ़ते थे।
- नमाज और पूजा साथ साथ होती रही।
- आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक का फैसला नहीं हो सकता है।
- बाबरी मस्जिद को मीर तकी ने बनाया था।
फैसले की प्रमुख बातें
- रामलला का दावा बरकरार रहा।
- कानूनी आधार पर दिया गया जमीन के मालिकाना हक का फैसला।
- विवादित ढ़ांचा गिराने कानून व्यवस्था तोड़ने जैसा।
- मुस्लिमों को वैकल्पिक जमीन देने का आदेश।
- शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज।
- जमीन का अधिकार ट्रस्ट को सौंपा जाए।
- मंदिर निर्माण के लिए केंद्र 3 महीने में ट्रस्ट बनाए।
- सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने के आदेश।
- रामजन्मभूमि न्यास को दी गई विवादित जमीन।
- पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा करने का अधिकार।
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