अयोध्या भूमि विवाद: ऐतिहासिक फैसले पर क्या बोले दुनियाभर के प्रमुख अखबार

तीस साल पुराने अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya-Babri Masjid Dispute) पर देश का सर्वोच्च न्यायायल (Supreme Court) आज अहम फैसला सुनाने जा रहा है। इस पर केवल देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं। आइए जानते हैं दुनियाभर के प्रमुख अखबारों ने इस मुद्दे को किस तरह प्रकाशित किया है।
अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स ने अयोध्या से जुड़े अपने लेख का शीर्षक लिखा- अयोध्या स्थल पर भारत के फैसले का इंतजार, हिंदुओं और मुसलमानों को किनारे छोड़ा। अखबार ने लिखा है कि सर्वोच्च न्यायायल शनिवार को फैसला करेगा कि क्या जमीन का एक टुकड़ा हिंदुओं या मुसलमानों का है, या तो मंदिर बनाया जाएगा या मस्जिद बहाल की जाएगी।
अखबार ने लिखा है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय देश के सबसे विवादित धार्मिक स्थल के स्वामित्व पर शनिवार को फैसला सुनाएगा। इस फैसले को लेकर हिंदुओं का कहना है कि इस देश के नेताओं की स्थिति को मजबूत करेगा लेकिन मुसलमानो को डर है कि वे द्वीतीय श्रेणी के नागरिक बन जाएंगे।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा हिंदू राष्ट्रवाद की लहर पर सत्ता में पहुंच गई है और अयोध्या में राम मंदिर को बहाल करना उसके लिए एक केंद्रीय मुद्दा बन गया है।
वहीं वॉशिंगटन पोस्ट ने अपना शीर्षक लिखा- मंदिर विवाद पर फैसला सुनाएगा भारत का सुप्रीम कोर्ट। वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दशकों पुराने भूमि विवाद पर फैसले से पहले भारत के सुरक्षाबलों ने सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा है। 16वीं शताब्दी की मस्जिद को 1992 में ध्वस्त कर दिया गया था, जहां मंदिर बनाने की योजना थी। इससे भयावह धार्मिक दंगे भी हुए।
अखबार ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता अवनीस अवस्थी के हवाले से बताया है कि राज्य में सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश पोस्ट करने के आरोप में पुलिस ने लगभग 500 लोगों को गिरफ्तार किया है। अवस्थी ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद परेशानी रोकने के लिए पुलिस ने राज्यभर में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 5,000 लोगों को हिरासत में लिया है।
वहीं अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट के शीर्षक में लिखा- अयोध्या के फैसले से पहले भारत ने सुरक्षा कड़ी कर दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने हिंदुओं और मुसलमानों के एक विवादित धार्मिक स्थल के नियंत्रण को लेकर शनिवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले अयोध्या के उत्तरी इलाके में 5,000 से अधिक सैनिकों और पुलिस को तैनात किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिमों का कहना है कि उन्होंने मध्यकालीन युग में बाबरी मस्जिद में सदियों तक प्रार्थना की जब तक कि 1949 में भगवान राम की मूर्ति को मस्जिद के अंदर नहीं रखा गया।
जबकि हिंदुओं का मानना है कि मस्जिद मुगल शासक बाबर के अधीन एक हिंदू मंदिर को नष्ट करने के बाद बनाई गई थी। 1992 में हिंदू भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया और भगवान राम के एक मंदिर का निर्माण किया, जो भगवान विष्णु के अवतार थे, माना जाता है कि उनका जन्म इसी स्थल पर हुआ था।
वहीं रुस के प्रमुख समाचार समूह आरटी (RT) ने अपना शीर्षक लिखा है- अयोध्या विवादः ऐतिहासिक फैसला भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच युद्ध रेखा खींच सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सुप्रीम कोर्ट आज अयोध्या मंदिर के मामले में अपना फैसला सुनाएगा जिससे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच संघर्ष हो सकता है।
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