अयोध्या जमीन विवाद में छठे दिन की सुनवाई पूरी, पढ़े दिनभर क्या क्या हुआ

अयोध्या जमीन विवाद में छठे दिन की सुनवाई पूरी, पढ़े दिनभर क्या क्या हुआ
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अयोध्या मामले को लेकर नियमित सुनवाई की कड़ी में आज 5वें दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुना। रामलला विराजमान के वकील ने अपना पक्ष रखा, इतिहास की तमाम बातों को उन्होंने कोर्ट के सामने रखा। कोर्ट ने भी नियमित अंतराल पर उनसे सवाल पूछे। इसके पहले कोर्ट ने हफ्ते में तीन दिन के बजाय 5 दिन केस सुनने का फैसला किया।

अयोध्या मामले को लेकर नियमित सुनवाई की कड़ी में आज 5वें दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुना। रामलला विराजमान के वकील ने अपना पक्ष रखा, इतिहास की तमाम बातों को उन्होंने कोर्ट के सामने रखा। कोर्ट ने भी नियमित अंतराल पर उनसे सवाल पूछे। इसके पहले कोर्ट ने हफ्ते में तीन दिन के बजाय 5 दिन केस सुनने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई, जिसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि जब आपका नंबर आएगा और आप ब्रेक की मांग करेंगे तो अदालत को बताकर आप छुट्टी ले सकते हैं।

आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

Update :

वकील राजीव धवन ने हिन्दू पक्ष द्वारा दी गई दलीलों पर ऑब्जेक्शन करते हुए कहा कि अभी तक अदालत में कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक सारी दलीले इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर आधारित हैं। राजीव धवन की इन बातों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करें, दूसरे पक्ष की बहस में रुकावट न पैदा करें।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वह अयोध्या मामले की सुनवाई में किसी प्रकार की जल्दी में नही है। वह हर पक्ष को बोलने का बराबर मौका देगा इसके लिए भले ही कितना भी समय क्यों न लग जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि मामले से जुड़े वकील जितना भी समय बोलने के लिए चाहते हैं उन्हें दिया जाएगा।

वैद्यनाथन ने पांचो जजों के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये ऐतिहासिक तथ्य है कि लोग बाहर से इस देश में आए और उन्होंने यहां के धार्मिक स्थलों को थोड़ा। साथ ही ब्रिटिश काल में हिन्दुओं को बाहर रखने के लिए वहां एक दीवार भी बनाई थी। साथ ही वैद्यनाथन ने कहा कि किसी भी रिपोर्ट में वहां नमाज अदा करने का जिक्र नहीं है।

रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन ने दावा किया कि वहां 1528 से लेकर 1855 तक मुसलमानों द्वारा कभी भी नमाज अदा करने का उल्लेख नहीं है। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया जिसमें ये उल्लेख है।

रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन के बोलने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपका नजरिया पर्सनल है। आपके देखने का तरीका सिर्फ एक नजरिया नहीं हो सकता। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक नजरिया ये भी है कि हर स्थान खुद में भगवान है और दूसरा नजरिया ये हैं कि वहां पर हमें पूजा करने का हक मिलना चाहिए। हम दोंनो देख रहे हैं।

रामलला विराजमान के वकील ने इसके जवाब में कहा कि ये हमारा नजरिया है अगर कोई दूसरा पक्ष उसपर दावा करता है तो हम बात करेंगे। लेकिन हमारे नजरिए में स्थान देवता है और देवता का दो पक्षों में सामूहिक कब्जा नहीं दिया जा सकता।

रामलला का पक्ष रख रहे वकील वैद्यनाथन मोहम्मद हाशिम के उस गवाही का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि हिन्दुओं के लिए अयोध्या उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना मुसलमानों के लिए मक्का मदीना महत्वपूर्ण है।

रामलला विराजमान की तरफ से बोलते हुए वकील वैद्यनाथन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ही अपने एक फैसले में कहा था कि मंदिर के लिए मूर्ति का होना जरूरी नही है। उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि को लेकर लोगों में जो आस्था है वह सभी प्रकार की शर्तों को पूरा करती है।

वकील वैद्यनाथन ने कहा मुस्लिम पक्ष के पास कोई सबूत नहीं है कि उसका जमीन पर कब्जा है या फिर चला आ रहा है। जस्टिस अशोक भूषण ने इस बात पर चित्रकूट में कामदगिरी परिक्रमा का जिक्र किया, उन्होंने कहा कि लोगों मे विश्वास और आस्था है कि वनवास जाते वक्त प्रभु राम अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ यहां ठहरे थे।

वैद्यानाथन ने कहा कि 18 दिसम्बर 1961 जो जब लिमिटेशन एक्ट लागू हुआ था, उसके करीब 12 साल पहले 16 जनवरी 1949 को मुसलमानों ने आखिरी बार वहां प्रवेश किया था।

वैद्यनाथन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मस्जिद से पहले उस स्थान पर मंदिर था। इसका कोई सबूत नहीं है कि बाबर ने ही वो मस्जिद बनाई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि उनके पास 438 सालों से उस जमीन का अधिकार है। जबकि हाईकोर्ट ने उनके इस तर्क को मानने से मना कर दिया था।

रामलला विराजमान की तरफ से बोलते हुए वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वहां मस्जिद से पहले मंदिर था इससे जुड़े सबूत कोर्ट में पेश किए जाएंगे।

अयोध्या मामले में पांचवे दिन की सुनवाई शुरू हो गई है। रामलला की ओर से आज वरिष्ठ वकील के परासरन ने अपना पक्ष रखना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि पूरा न्याय करना करना सुप्रीम कोर्ट के विशेष क्षेत्राधिकार में आता है।

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