अयोध्या भूमि विवाद : 'सुप्रीम' फैसले से पहले जानें 40 दिन की सुनवाई में क्या-क्या हुआ

अयोध्या भूमि विवाद : सुप्रीम फैसले से पहले जानें 40 दिन की सुनवाई में क्या-क्या हुआ
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सुप्रीम कोर्ट शनिवार यानी 9 नवंबर की सुबह 10 बजे अयोध्या केस में फैसला सुनाने वाला है। आइए जानते हैं कि आखिर 40 दिन की सुनवाई में क्या हुआ और फैसले में किन प्रश्नों का जवाब होगा।

अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फैसला सुनाने जा रहा है। इस मामले में लगातार 40 दिन संवैधानिक बेंच बैठी और मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट सुबह 10 बजे यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट में यह अब तक की सबसे लंबी सुनवाई है। 40 दिन हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने जोरदार और दमदार दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह दूसरी सबसे लंबी सुनवाई केशवानंद भारती से सबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट में चली थी तब 68 दिन सुनवाई चली थी।

संवैधानिक मूल ढांचा आदि की व्याख्या तब संवैधानिक बेंच ने की थी। अबकी बार दूसरी सबसे लंबी सुनवाई हुई है। भारतीय राजनीति से लेकर धार्मिक व सामाजिक ताने-बाने के संदर्भ में ये मामला बेहद महत्वपूर्ण है जिसके फैसले की घड़ी आ गई। हम जानते हैं कि आखिर वे कौन से 11 सवाल हैं जिसको लेकर 40 दिन सुनवाई हुई है और अदालत का उस पर फैसला आने वाला है।

1- विवादित स्थल पर मालिकाना हक: सुप्रीम कोर्ट के सामने सबसे अहम सवाल यह है कि 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है?

2-विवादित स्थल पर पजेशन किसका रहा: इस सवाल का भी जवाब सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा। दोनों पक्षकार का दावा है कि पजेशन उनका रहा है।

3- भगवान राम का जन्मस्थान: भगवान राम का जन्मस्थान कहां है वह कौन सी जगह है जहां भगवान राम पैदा हुए? इस बाद पर दोनों पक्षकार आमने सामने हैं।

4-जन्मस्थान ही न्यायिक व्यक्ति: यह एक अहम मुद्दा सामने आया है। जन्मस्थान को ही कानूनी व्यक्ति का दर्जा दिया जाए या नहीं ये भी सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने है।

5- एएसआई की रिपोर्ट: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को दोनों पक्षकार अपने फेवर में बता रहे हैं और एक दूसरे की दलील को नकार रहे हैं। यह अहम सवाल है कि रिपोर्ट किसके फेवर में है।

6- विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांत और गजेटियर्स: इस मामले में विदेशी यात्रियों के वृत्तांत और गजेटियर्स में विदादित स्थल के बारे में कई संदर्भ हैं उस पर स्थिति स्पष्ट होगी।

7-खुदाई के अवशेष में मंदिर और मस्जिद के दावे: ये अहम सवाल है कि आखिर जो खुदाई में स्ट्रक्चर मिले थे वह मंदिर के अवशेष थे या नहीं।

8-मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी या नहीं: ये भी सवाल उठा है कि मस्जिद जब बनाई गई तो क्या वह मंदिर तोड़कर बनाई गई या मंदिर के स्ट्रक्चर पर बनाई गई या फिर खाली जमीन पर।

9- विवादित स्थल पर पूजा होता रहा या नमाज या फिर दोनों: इस सवाल पर भी दोनों के अपने-अपने दावे हैं और इन दावों के लिए गवाहों के बयान आदि हैं। पर सवाल अहम है।

10- विवादित स्थल पर मूर्ति थी या नहीं: यह भी अहम सवाल है कि आखिर मूर्ति बीच वाले गुंबद के नीचे थी या नहीं।

11- मस्जिद तोड़ने के बाद उसके प्रकृति पर क्या असर: यह भी अहम सवाल है कि क्या मस्जिद में अगर नमाज न पढ़ी जाए तो वह मस्जिद नहीं होती?

40 दिन की सुनवाई पर एक नजर-

पहला दिन: निर्मोही अखाड़ा ने कहा विवादित ढांचा 2.77 एकड़ पर सैकड़ों साल से निर्मोही अखाड़ा का पजशन रहा है।

दूसरा दिन: राम लला विराजमान की दलील है कि राम में आस्था रखने वालों का विश्वास ही इस बात का साक्ष्य है कि अयोध्या के विवादित स्थल पर राम पैदा हुए थे।

तीसरा दिन: राम लला विराजमान की दलील है कि हाई कोर्ट में किसी भी पक्षकार ने विवादित स्थल को बांटने के लिए नहीं कहा था लेकिन हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन भागों में बांट दिया। जन्म स्थान का खासा महत्व है। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी।

चौथा दिन: राम लला विराजमान के वकील के. परासरन ने कहा कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं में देवता का कोई विशेष आकार जरूरी नहीं है। देवता कण-कण में बसते हैं।

पांचवा दिन: राम लला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दलील दी कि जन्मस्थान ही देवता हैं और जन्मस्थान को साझा नहीं किया जा सकता क्योंकि देवता का बंटवारा नहीं हो सकता।

छठा दिन: हिंदू पक्षकार की दलील है कि राम जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़ा गया और अगर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया जाता है तो शरियत कानून ऐसे मस्जिद को मान्यता नहीं देता।

सातवां दिन: राम लला विराजमान के वकील ने दावा किया कि जिस जगह मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे मंदिर का बहुत बड़ा ढांचा था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में साफ है।

आठवां दिन: हिंदू पक्षकार की दलील थी कि 12 सदी के जो शिलापट्ट और शिलालेख मिला है उसके साक्ष्य बताते हैं कि वहां विशाल विष्णु मंदिर था। मस्जिद बनाए जाने के बाद भी हिंदू वहां पूजा करते थे।

नौवां दिन: हिंदू पक्षकार का कहना था कि अगर जन्मस्थान ही देवता है तो प्रॉपर्टी उसी में निहित हैं यानी प्रॉपर्टी देवता की ही हुई और ऐसे में कोई भी उस जमीन (जन्मस्थान) पर दावा नहीं कर सकता। देवता को उनकी खुद की संपत्ति से विमुख नहीं किया जा सकता।

10 वें दिन: पूजारी गोपाल दास विरासद की ओर से पेश सीनियर एडोवकेट रंजीत कुमार ने दलील दी कि वह मूल पक्षकार हैं और उन्हें जन्मस्थान पर पूजा करने का अधिकार है।

11वें दिन: दौरान निर्मोही अखाड़ा की ओर से दलील दी गई कि हमारा दावा टाइटल पर नहीं है बल्कि हमारा दावा ये है कि हम जन्मस्थान पर स्थित मंदिर के शेबियत (मैनेजेजर यानी देखरेख करने वाले) हैं और पोजेशन पर हमारा दावा है।

12 वें दिन: निर्मोही अखाड़ा की दलील हम देव स्थान का मैनेजमेंट करते हैं और पूजा का अधिकार चाहते हैं।

13 वें दिन: निर्मोही अखाड़ा की दलील है कि विवादित ढांचे में 1934 के बाद कोई मुस्लिम नहीं प्रवेश किया। वहां मंदिर था।

14 वें दिन: हिंदू पक्षकार के वकील ने कहा कि बाबरनामा में कहीं भी जिक्र नहीं है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनावाई थी, दरअसल औरंंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई

15 वें दिन: हिंदू पक्षकार के वकील ने दलील दी कि इस्लाम के मुताबिक दूसरे के पूजा स्थल को गिराकर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। इस्लामिक कानून के तहत यह मस्जिद नहीं हो सकती।

16 वें दिन: शिया वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया कि हम उस एक तिहाई हिस्सा को हिंदुओं को देना चाहते हैं।

17 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार की ओर से राजीव धवन ने कहा कि जहां तक टाइटल शूट का सवाल है तो ऐसे मामले में ऐतिहासिक दलील का कोई मतलब नहीं रह जाता है और संपत्ति के मालिक द्वारा संपत्ति का इस्तेमाल न करने से उसका मालिकाना हक खत्म हीं हो जाता।

18 वें दिन: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा बाबरी मस्जिद में सुनियोजित तरीके से अटैक किया गया और छल से मूर्ति रखी गई थी।

19 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने निर्मोही अखाड़ा के मैनेजमेंट के अधिकार का विरोध नहीं किया लेकिन उनका मालिकाना हक कभी नहीं था।

20 वें दिन: सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलील कि राम चबूतरे पर पूजा और पूजा के अधिकार को हमने कभी मना नहीं किया।

21 वें दिन: राजीव धवन ने दलील दी कि 22 दिसंबर 1949 को जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता।

22 वें दिन: राजीव धवन ने कहा उन्हें धमकी दी जा रही है। अब उन्हें फेसबुक पर धमकी दी गई है। उनके क्लर्क को भी धमकाया गया है।

23 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार की दलील है कि मस्जिद के अंदर अल्लाह लिखे जाने के साक्ष्य हैं। वहां लगातार 1934 के बाद भी नमाज पढ़ा जाता रहा और इसके कई गवाह हैं।

24 वें दिन: मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा है कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति नहीं है।

25 वें दिन: राजीव धवन ने कहा इस बात से कोई इनकार नहीं है कि भगवान राम का अयोध्या में जन्म हुआ था। लेकिन क्या सिर्फ आस्था के आधार पर किसी स्थान विशेष को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है।

26 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा राम चरित मानस से लेकर रामायण कहीं भी इसका जिक्र नहीं है कि असल में कौन सी जगह राम का जन्म हुआ था।

27 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा 1885 में तमाम कार्रवाई राम चबूतरा के लिए हुई थी।

28 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा कि 1985 में न्याय बनाया गया और देश भर में कार सेवकों द्वारा आंदोलन चलाया गया और विश्व हिंदू परिषद ने आंदोलन को संगठित कर गति दी और फिर देश भर में माहौल बनाया गया और 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराया गया ताकि हकीकत को मिटाया जा सके और मंदिर बनाया जा सके।

29 वें दिन: राजीव धवन ने दलील दी कि हम भगवान राम का सम्मान करते हैं। जन्मस्थान का सम्मान करते हैं इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा तो देश खत्म हो जाएगा।

30 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि राम चबूतरा जन्मस्थान है ऐसा कहने में कोई ऐतराज नहीं है क्योंकि पहले ही तीन-तीन कोर्ट इस बात को कह चुका है। लेकिन हमारा दावा पूरे इलाको को लेकर है।

31 वें दिन: सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने हा कि हमने ये बिल्कुल स्वीकार नहीं किया कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है।

32 वें दिन: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि दोनों पक्षकार अपनी दलील की समयसीमा तय करें ताकि सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जा सके।

33 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा एएसआई रिपोर्ट एक कमजोर साक्ष्य है। ये रिपोर्ट पूरी तरह से परिकल्पना पर आधारित है। साथ ही अनुमान आधारित निष्कर्ष है।

34 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील शेखर नाफडे ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमें एक जैसे ही हैं दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि 1885 में विवादित स्थल के एक जगह पर दावा किया गया था अब पूरे हिस्से में दावा किया गया है।

35 वें दिन: हिंदू पक्षकार की दलील है कि राम जन्मस्थान न्यायिक व्यक्तित्व है।

36 वें दिन: राम लला विराजमान के वकील ने कहा कि मस्जिद के नीचे जो स्ट्रक्चर था उसमें कमल, परनाला और वृताकार श्राइन के साक्ष्य मिले हैं इससे निष्कर्ष निकलता है कि वह मंदिर था।

37 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा कोई इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। लेकिन विवाद जन्मस्थान को लेकर है। उनका जन्म बीच वाले गुंबद के नीचे नहीं हुआ था।

38 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अदालत सारे सवाल हमसे ही क्यों कर रही है, हिंदू पक्षकारों से क्यों नहीं?

39 वें दिन: हिंदू पक्षकार के वकील के परासरन ने मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश की गई दलील का जवाब देते हुए कहा कि अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर बाबर ने मस्जिद बनवाई और ये एक ऐतिहासिक भूल किया गया है जिसे सुधारने की जरूरत है।

40 वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा वहां दोबारा कंस्ट्रक्शन का अधिकार हमारा है। प्रेयर करने का अधिकार हमारा है क्योंकि टाइटल हमारा है। यहां तक कि चबूतरे का पार्ट भी मस्जिद का ही है। मस्जिद सिर्फ गुंबद नहीं

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