अयोध्या भूमि विवाद : असली विवाद शुरू हुआ दिसंबर 1949 में, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में मिली

अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक है। मगर यह कम ही लोग जानते होंगे कि इस विवाद की नींव कब पड़ी। अयोध्या में विवाद की नींव करीब 400 साल पहले यानि कि 1528 में मुगल बादशाह बाबर के शासनकाल से पड़ी, जब वहां मस्जिद का निर्माण हुआ। तब से लेकर आखिरी फैसला आने तक इस विवाद ने कई मोड़ लिए और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर आज फैसला सुना रहा है।
साल 1528: मुगल बादशाह बाबर ने (विवादित जगह पर) मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदुओं को दावा है कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां पहले एक मंदिर था।
साल 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।
साल 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।
साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में राम लला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।
साल 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।
साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।
साल 1986: यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।
6 दिसंबर 1992: बीजेपी, वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को ले जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।
8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।
1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।
2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।
6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
ये हैं वे 11 सवाल जिसको लेकर 40 दिन सुनवाई हुई
1- विवादित स्थल पर मालिकाना हक: सुप्रीम कोर्ट के सामने सबसे अहम सवाल यह है कि 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है?
2-विवादित स्थल पर पजेशन किसका रहा: इस सवाल का भी जवाब सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा। दोनों पक्षकार का दावा है कि पजेशन उनका रहा है।
3- भगवान राम का जन्मस्थान: भगवान राम का जन्मस्थान कहां है वह कौन सी जगह है जहां भगवान राम पैदा हुए? इस बाद पर दोनों पक्षकार आमने सामने हैं।
4-जन्मस्थान ही न्यायिक व्यक्ति: यह एक अहम मुद्दा सामने आया है। जन्मस्थान को ही कानूनी व्यक्ति का दर्जा दिया जाए या नहीं ये भी सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने है।
5- एएसआई की रिपोर्ट: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को दोनों पक्षकार अपने फेवर में बता रहे हैं और एक दूसरे की दलील को नकार रहे हैं। यह अहम सवाल है कि रिपोर्ट किसके फेवर में है।
6- विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांत और गजेटियर्स: इस मामले में विदेशी यात्रियों के वृत्तांत और गजेटियर्स में विदादित स्थल के बारे में कई संदर्भ हैं उस पर स्थिति स्पष्ट होगी।
7-खुदाई के अवशेष में मंदिर और मस्जिद के दावे: ये अहम सवाल है कि आखिर जो खुदाई में स्ट्रक्चर मिले थे वह मंदिर के अवशेष थे या नहीं।
8-मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी या नहीं: ये भी सवाल उठा है कि मस्जिद जब बनाई गई तो क्या वह मंदिर तोड़कर बनाई गई या मंदिर के स्ट्रक्चर पर बनाई गई या फिर खाली जमीन पर।
9- विवादित स्थल पर पूजा होता रहा या नमाज या फिर दोनों: इस सवाल पर भी दोनों के अपने-अपने दावे हैं और इन दावों के लिए गवाहों के बयान आदि हैं। पर सवाल अहम है।
10- विवादित स्थल पर मूर्ति थी या नहीं: यह भी अहम सवाल है कि आखिर मूर्ति बीच वाले गुंबद के नीचे थी या नहीं।
11- मस्जिद तोड़ने के बाद उसके प्रकृति पर क्या असर: यह भी अहम सवाल है कि क्या मस्जिद में अगर नमाज न पढ़ी जाए तो वह मस्जिद नहीं होती?
2.77 एकड़ की जमीन को लेकर विवाद
दरअसल राममंदिर-बाबरी मस्जिद को लेकर चल रहे इस विवाद में कई मुद्दे हैं लेकिन सबसे बड़ा मामला जमीन विवाद का है। यह विवाद 2.77 एकड़ की जमीन को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट के सामने सबसे अहम सवाल यह था कि 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को मिला। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
क्या-क्या है इस विवादित भूमि में
विवादित जमीन कुल 2.77 एकड़ की है। इसके पास ही 67 एकड़ की जमीन सरकार के पास की है। वहीं विवादित स्थल के पास ही सुन्नी वक्फ बोर्ड की भी जमीन है। राम जन्मभूमि की जमीन कुल 42 एकड़ है। आसपास कई मंदिर भी हैं लेकिन विवाद छोटे भूमिखंड को लेकर ही है जहां बाबरी मस्जिद का गंबुद और राम लला विराजमान हैं। इस भूमिखंड में बाबरी मस्जिद ढांचा, राम लला विराजमान, राम चबूतरा, सिंहद्वार और सीता रसोई है।
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