अयोध्या फैसला : जानिए कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के 5 जज, जिन्होंने सर्वसम्मति से सुनाया ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आज फैसला आ गया है। जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का मामला कई वर्षों से चला आ रहा है। इस मामले की अंतिम सुनवाई 40 दिनों में पूरी हुई है। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने तीखी बहस की। 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले में आज फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई बेंच में रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में...
1- जस्टिस बोबडे
महाराष्ट्र के नागपुर में 24 अप्रेल 1956 में शरद अरविंद बोबडे का जन्म हुआ था। बोबडे ने एसएफएस कॉलेज नागपुर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1978 में नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। 2000 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। उसके बाद बोबडे साल 2012 में मध्यप्रदेश हाइकोर्ट के 39वें मुख्य जस्टिस बने थे। उन्हें साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन भी मिल गया। शरद अरविंद बोबडे ने जस्टिस रहते हुए आधार कार्ड, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न केस की सुनवाई कर चुके हैं। वह अयोध्या केस में बनी सुप्रीमकोर्ट की संविधान पीठ के सदस्यों में शामिल हैं।
बता दें कि शरद अरविंद बोबडे ही रंजन गोगोई के बाद भारत के अगल मुख्य न्यायाधीश (सीजेई) होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शरद अरविंद बोबडे के नाम पर मुहर लगा चुके हैं। बोबड़े भारत के 47 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 18 नवंबर को शपथ लेंगे। बोबडे 23 अप्रैल 2021 तक सीजेआई के रूप में काम करेंगे।
2- जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
11 नवंबर 1959 को जन्में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (धनंजय यशवंत चंद्रचूड़) ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था। धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश रह चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। इसके अलावा वह दुनिया की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों में लेक्चर भी दे चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में बेंच की हिस्सा रह चुके हैं।
बता दें कि डीवाई चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील के रूप में अभ्यास किया और संवैधानिक कानून और सार्वजनिक कानून में विशेष रूचि ली। साल 1998 से 2000 तक चंद्रचूड़ एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया नियुक्त हुए।
* डीवाई चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज नियुयक्त हुए।
* 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीजेआई पद पर आसीन हुए।
* 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
3- जस्टिस अशोक भूषण
5 जुलाई 1956 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जन्में अशोक भूषण भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में न्यायाधीश हैं। अशोक भूषण केरल हाई कोर्ट के 31 वें मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। जस्टिस अशोक भूषण 2014 में वह केरल हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में चीफ जस्टिस बने। अशोक भूषण साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत का अभ्यास किया। अशोक भूषण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई पदों पर काम किया और वर्ष 2001 में बतौर जज नियुक्त हुए। जस्टिस अशोक भूषण ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला। अब वह अयोध्या ममाले में भी बेंच का हिस्सा हैं।
4- जस्टिस अब्दुल नज़ीर
5 जनवरी 1958 को कर्नाटक में जन्में अब्दुल नज़ीर ने एसडीएम लॉ कॉलेज मंगलुरु से कानून की डिग्री हासिल की। बाद में उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में अभ्यास किया बाद में वहां उन्हेंने एडिशनल जज और परमानेंट जज कार्य किया। जस्टिस अब्दुल नजीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की। 17 फरवरी 2017 को अब्दुल नज़ीर सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला। जस्टिस अब्दुल नज़ीर अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा हैं।
5- सीजेआई रंजन गोगोई
18 नवंबर 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर भारत के मुख्य न्यायधीश का पदभार ग्रहण किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस बेंच की अगुवाई कर रहे हैं, जो आज अयोध्या मामले में फैसला सुनाने जा रही है। रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी। उन्होंने वकालत की शुरुआत गुवाहाटी हाई कोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज भी बने।
रंजन गोगोई इसके बाद साल 2010 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए। साल 2011 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। जस्टिस रंजन गोगोई 23 अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। रंजन गोगोई ने बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या केस, एनआरसी और जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं शामिल हैं।
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