Ayodhya Case: अयोध्या फैसले से पहले हलचल तेज, अगले सप्ताह आएगा अहम फैसला

अंग्रेजों के वक्त से चला आ रहा अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद (Ayodhya Ram Janmabhoomi Case) शायद अब खत्म हो जाए। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रखा है और 17 नवंबर तक अपना फैसला सुना देगा। कोर्ट ने मालिकाना हक को लेकर 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख दिया था। इस मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा संविधान पीठ में जस्टिस एस.ए. बोबड़े, जस्टिस एसए नजीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।
जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पूरे 40 दिनों तक लगातार सुनवाई की। इस दौरान सभी पक्षकारों के बयानों को सीजेआई के पैनेल ने सुना और दर्ज किया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मॉड्यूलिंग ऑफ रिलीफ को लेकर लिखित जवाब मांगी। जिसके लिए तीन दिनों का वक्त दिया गया।
संभावित तारीख
अयोध्या में मालिकाना हक को लेकर कहा जा रहा है कि 13 से 16 नवंबर की बीच सुप्रीम कोर्ट अपना बड़ा फैसला सुना सकता है। 12 नवंबर को गुरुपरब है जिसके बाद 17 से पहले फैसला सुनाना है। यानी की अगले सप्ताह को शनिवार तक फैसला आ जाएगा। 9, 10, 11 और 12 को छुट्टी है। इसके बाद 13,14 और 15 कोर्ट खुलेगा। 16 को शनिवार है और 17 नवंबर को सीजेआई रिटायर हो रहे हैं।
इन जगहों पर धारा 144 लागू
अयोध्या विवाद पर फैसला आने से पहले उत्तर प्रदेश में दंगों और हिंसा हो सकती है, जिसको लेकर कई जिलों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है और वहीं फैसले से पहले ही अयोध्या और आस पास के इलाकों में धारा 144 भी लागू कर दी गई है। यहां पीएसी और आरएएफ की टीमें तैनात है। एटीएस की टीम भी अयोध्या पर नजर बनाए रखे हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में भी अयोध्या फैसले को लेकर हाई अलर्ट किया गया है। कई संवेदनशील इलाकों में अभी से धारा 144 लागू कर दी गई है, जो फैसला आने के अंतिम आदेश तक लागू रहेगी।
अयोध्या जमीन विवाद को लेकर फैसला
अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद पर जमीन के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई हुई। 40 दिनों तक लगातार सुनवाई के बाद अब कोर्ट को अपना अंतिम फैसला देना है। जहां तक उम्मीद है अयोध्या में जमीन के मालिकाना हक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला ही अंतिम हो सकता है। साल 2010 में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को कोर्ट ने तीन हिस्सों में बांटा था।
सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच जमीन को बांटा गया। लेकिन इस फैसले से खफा पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट का सुख किया था। ऐसे में इस फैसले को टाला जा सकता है। अब नया क्या होगा। किसी एक पक्ष के हक में फैसला होगा और दूसरी को मॉड्यूलिंग ऑफ रिलीफ के तहत संतुष्ट किया जाएगा। यानी सभी पक्षकारों को हार जीत पर कुछ ना कुछ दिया जाएगा।
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