Bihar Election Opinion Poll 2020: जातीय समीकरण से समझिए बिहार का ओपिनियन पोल, कैसे महागठबंधन रहेगा पीछे और एनडीए फिर मार देगा मोर्चा, नीतीश के सामने हैं दो चुनौतियां

Bihar Election Opinion Poll 2020: जातीय समीकरण से समझिए बिहार का ओपिनियन पोल, कैसे महागठबंधन रहेगा पीछे और एनडीए फिर मार देगा मोर्चा,  नीतीश के सामने हैं दो चुनौतियां
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Bihar Election Opinion Poll 2020: बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल सामने आया है। जिसमें इस बार भी एनडीए को बढ़त दी है, तो वही महागठबंधन पीछे है।

बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल सामने आया है। जिसमें इस बार भी एनडीए को बढ़त दी है, तो वही महागठबंधन पीछे है। ऐसे में चुनाव से पहले किए गए सर्वे में यह बताने की कोशिश है कि आखिर बिहार में सत्ता किसकी तरफ झुकती नजर आ रही है।

एक तरफ पक्ष- दूसरी तरफ विपक्ष

एक तरफ एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, हम और वीआईपी जैसी पार्टियां हैं, तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन है, जिसमें लालू यादव की पार्टी आरजेडी, कांग्रेस और तीन कम्युनिस्ट पार्टियां हैं। जो नीतीश के सामने खड़ी हैं। वहीं दूसरी तरफ एक और पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी है, जो इस बार चुनाव में थोड़ा वक्त खेल बदल सकती है।

क्या ऐसे में एलजेपी बिहार में किंग मेकर की भूमिका निभा सकती है

सर्वे के मुताबिक, बिहार में अभी ओपिनियन पोल में जनता ने एनडीए को पसंद किया है, तो वहीं अब भी लोगों की पसंद नीतीश कुमार ही हैं। जबकि दूसरी तरफ तेजस्वी यादव की लोकप्रियता भी तेजी से बिहार में बढ़ रही है। ऐसे में नीतीश कुमार के सामने अन्य चुनौतियां भी हैं। सर्वे से पता चलता है कि बिहार में 30 फ़ीसदी लोग अभी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर वह किस पार्टी को वोट देना चाहते हैं।

वहीं दूसरी तरफ लोगों की पसंद नीतीश कुमार हैं। लेकिन उनकी लोकप्रियता में कमी आई है। बिहार चुनाव पर लोकनीति-सीएसडीएस का ओपिनियन पोल सामने आया है। तेजस्वी यादव जिस तरह चैलेंजर बनकर उभरे हैं, उनके लिए भी ये 24 फीसदी के करीब का मतदान चिंता बढ़ा सकता है।

नीतीश और तेजस्वी में कांटे की टक्कर

वहीं दूसरी तरफ करीब 27 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनकी मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद तेजस्वी यादव हैं, जबकि नीतीश को सीएम देखने वाले 31 फीसदी हैं।

जातीय समीकरण

बिहार में ओपिनियन पोल के आंकड़े बताते हैं कि एनडीए को 38 फ़ीसदी और महागठबंधन को 32 फ़ीसदी लोग वोट दे सकते हैं। जबकि 6 फ़ीसदी लोजपा को मिल सकते हैं। अगर सीटों की बात करें तो ऐसे में एनडीए को बिहार में 140 में से 133 सीटें मिलती दिख रही है। वहीं महागठबंधन को 98 सीटों में से 88 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ इन दोनों गठबंधन से अलग चिराग पासवान की लोजपा पार्टी भी बिहार में कहीं ना कहीं सीटों में बढ़त हासिल कर सकती है।

एक अनुमान के मुताबिक छह सीटें लोजपा जीत सकती है । जातीय समीकरण की बात करें तो एनडीए में भी कई क्षेत्रीय पार्टी ऐसी हैं, जो जातीय समीकरण पधारे हैं। वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी यादव और कांग्रेस के नाम पर भी लोग वोट कर सकते हैं। बिहार चुनाव में जातीय समीकरण बहुत महत्व रखता है।

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