राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में BJP की जीत से इंडिया गठबंधन पस्त, CM को लेकर अटकलों का दौर शुरू

राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में BJP की जीत से इंडिया गठबंधन पस्त, CM को लेकर अटकलों का दौर शुरू
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Assembly Election Result 2023: राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की बम्पर जीत ने लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले देश की राजनैतिक तस्वीर में भगवा रंग ज्यादा गहरे तक भर दिया है। अब तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया।

आनंद राणा, हरिभूमि ब्यूरो: राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की बम्पर जीत ने लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले देश की राजनैतिक तस्वीर में भगवा रंग ज्यादा गहरे तक भर दिया है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस से सत्ता छीनने के साथ ही मध्यप्रदेश में भाजपा ने भारी बहुमत से जीत हासिल की है, यह अपने आप में एक बड़ा संदेश है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि भले ही तेलंगाना में कांग्रेस जीत गई हो पर लोकसभा चुनाव से पहले हुए विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल नतीजों ने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की एक तरीके से कमर तोड़ दी है। भाजपा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में और अमित शाह और जेपी नड्डा की अगुवाई में अभी अभी दूर दूर तक उसके लिए विपक्ष कोई बड़ी चुनौती नहीं है।

इन तीन बड़े राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव लड़ा। यह रणनीति उम्मीद से ज्यादा कामयाब रही। जाहिर तौर पर चुनाव की बागडोर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभाले हुए थे, उनका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के पास कोई खास चेहरा नहीं था।

भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं के साथ मिलकर टिकट के दावेदारों पर मंथन किया और ज्यादातर उन्हीं नेताओं को चुनावी मैदान में उम्मीदवार बनाया जो जीतने का माद्दा रखते थे। उम्मीदवार तय करते वक्त पार्टी ने अपने सर्वे, संगठन की राय और जमीन पर दावेदार की मजबूती पर फोकस रखा। पार्टी नेतृत्व ने भले ही मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान में वसुंधरा राजे और छत्तीस गढ़ में रमन सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था पर इन तीनों नेताओं को अपने अपने राज्यों में आगे रखा और हर मसले पर उनकी राय और अनुभव को महत्व दिया। नतीजा सामने है।

भाजपा संगठन ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ बह रही हवा को पहचाने में कोई भूल नहीं की। कहा जा रहा था कि राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को हराना आसान नहीं होगा, मध्यप्रदेश में कमलनाथ को गेमचेंजर के तौर पर पेश किया जा रहा था, लेकिन नतीजों से साफ हो गया कि कांग्रेस अंदरखाते बेहद कमजोर थी। भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह बात बखूबी मालूम थी कि अब चूके तो 2024 के चुनावी महासंग्राम में विजय का परचम फहराना लगभग असंभव हो जाएगा। भाजपा के लिए विधानसभा चुनावों का यह मुकाबला आरपार की लड़ाई था और उसे जीतकर पार्टी ने विपक्ष को लगभग पस्त कर दिया है।

मोदी की गारंटी, एकजुटता, अचूक चुनावी रणनीति और मजबूत संगठन बना गेमचेंजर

भाजपा की जीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसेमंद चेहरे, प्रदेश स्तरीय नेताओं की आपसी एकजुटता, अचूक चुनावी रणनीति और मजूबत संगठन मुकाबले में गेमचेंजर साबित हुआ। कांग्रेस के पास कोई भरोसेमंद चेहरा नहीं था। राहुल गांधी कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का इन तीन राज्यों में कोई भूमिका निभाते ही नहीं दिखे। प्रियंका गांधी ने काफी भागदौड़ की पर उनका कोई असर मतदाताओं पर नहीं पड़ा। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट का आपसी झगड़ा भी मतदाताओं को कांग्रेस से दूर ले गया। छग में बघेल एकछत्र राज करने के चक्कर में अपने मंत्रिमंडल के कई साथियों से ही दूरी बना बैठे। संगठन में फैली गुटबाजी भी कांग्रेस को ले डूबी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ से जो उम्मीद लगाई बैठी थी वह पूरी नहीं हुई। कांग्रेस का यह मान लेना चाहिए कि राज्यों में उसका संगठन बहुत ही कमजोर हालत में है।

कौन बनेगा मुख्यमंत्री... बड़ा सवाल

भाजपा राजस्थान,मध्यप्रदेश और छग में किसे मुख्यमंत्री बनायेगी इसे लेकर दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिलेगी। दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौंड, सीपी जोशी, गजेन्द्र सिंह शेखावत फिलहाल दौड़ में आगे बताये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में पार्टी ने अपनी सरकार बरकार रखी है। जीत प्रचंड और उम्मीद से भी बड़ी मिली है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद को एकबार फिर साबित किया है, बावजूद इसके वे फिर से सीएम बन रहे हैं इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं है। चुनावी मुकाबले के दौरान अटकलें लगती रही कि भाजपा जीती तो चौहान शायद अगले मुख्यमंत्री नहीं होंगे।

यह देखना अब दिलचस्प होगा कि बड़ी जीत और लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व चौहान को अगला मौका देगा या फिर कोई नया चेहरा सीएम की कुर्सी पर नजर आयेगा। यहां नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक कई बड़े चेहरे मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ में भी सीएम पद किसे मिलेगा इसे लेकर छोल है। जाहिर तौर पर रमन सिंह बड़े नेता हैं। उन्होंने अपनी सीट पर बड़े अंतराल से जीत हासिल कर खुद को साबित किया है। बावजूद इसके माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व यहां किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री बना सकता है। छग में अरूण साव, लता उसेंडी, ओपी चौधरी और बृजमोहन अग्रवाल भी सीएम की रेस में बताये जा रहे हैं।

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