Budget 2019-20 India : 35 साल बाद मोदी सरकार 'विरासत संपत्ति' पर लगा सकती है टैक्स

Budget 2019 Highlights : Budget 2019-20 बजट 2019-20 / वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) शुक्रवार यानी पांच जुलाई को मोदी सरकार 2.0 (Modi Government 2.0) का पहला बजट पेश करेंगे। यह पहली बार होगा जब कोई महिला वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करेगी। आम बजट 2019-20 (Union Budget 2019-20) में केंद्र सरकार (Central Government) बड़ा ऐलान कर सकती है।
आधिकारिक सूत्रों के मुातबिक बजट में 35 साल बाद विरासत टैक्स (Inheritance Tax) की वापसी मुमकिन हो सकती है। इसके जरिए विरासत में मिले जेवरात, कैश को टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है।
यह भी बताया गया है कि सरकार का इस टैक्स से आय को बढ़ाने का कतई इरादा नहीं हैं। लेकिन इसके जरिए केंद्र सरकार धन जुटाने की सोच को निराश करेगी। इसे कालेधन पर अंकुश लगाने की कोशिशों के तौर पर पेश किए जाने का आशंका है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में इस तरह का कर (Tax) लगता है। वहीं जानकारों का कहना है कि अभी देश को पूंजी (Finance) की जरूरत है क्योंकि यह टैक्स सुस्त होती अर्थव्यवस्था (Economy) को नुकसान पहुंचाएगा। तो वहीं वित्त मंत्री (Finance Minister) शुक्रवार को इसे साहसिक कदम के तौर पर पेश कर सकती हैं।
विरासत संपत्ति पर 35 साल बाद टैक्स लगाने का मन बना रही सरकार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स लगाने का ऐलान कर सकती है। सूत्रों ने मुताबिक सरकार पैतृक प्रॉपर्टी (विरासत में मिली समपत्ति) पर 35 साल बाद टैक्स लगाने का मन बना रही है। वित्त मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि टैक्स लगाने का यह ठीक समय है। लोग मान्यता प्राप्त संस्थाओं और जन कल्याण में लगे ट्रस्टों को दान देकर इस टैक्स से मुक्ति पा सकते हैं।
सरकार ने 1985 में पैतृक प्रॉपर्टी (Inheritance) टैक्स को खत्म कर दिया था। एक बार समपत्ति उत्तराधिकारी को हस्तांतरित हो जाती है तो वह उसे किसी को भी बेच सकता है। इस तरह पूंजीगत लाभ या हानि भी उसी शख्स पर ही बनते हैं।
पी चिदंबरम ने की बैंकिंग कैश ट्रांजेक्शन टैक्स की शुरुआत
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने साल 2005 में बैंकिंग नकद लेनदेन कर (Banking Cash Transaction Tax) की शुरुआत की। उस समय अगर कोई बैंक से 10 हजार से अधिक निकालता तो निकासी पर 0.1 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया गया था।
इस बाद इसकी सीमा बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दी गई। लेकिन 2009 में इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था। सरकार ने यह फैसला टैक्स संग्रह न होने के कारण लिया।
दुनिया के विभिन्न देशों में माता-पिता, दादा-दादी या किसी अन्य नाते-रिश्तेदार से मिली संपत्ति पर (इनहेरिटेंस टैक्स / विरसत टैक्स) देना पड़ता है। टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि इस तरह के टैक्स से प्रतिकूल असर पड़ेगा। इनहेरिटेंस टैक्स को एस्टेट ड्यूटी भी कहते हैं।
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