Budget 2019 Highlights: बजट पेश करने से पूर्व हाथ में ब्रीफ केस लेकर क्यों आते हैं वित्त मंत्री, जानिए इस छोटे से ब्रीफकेस का बड़ा इतिहास

Budget Briefcase History : क्या आपने कभी सोचा है कि संसद (Parliament of India) के भीतर अपना बजट पेश करने से पहले हर साल वित्त मंत्री चमड़े की ब्रीफकेस (Leather Briefcase) के साथ संसद (Parliament of India) में क्यों जाते हैं? खैर, इसका जवाब 'बजट' (Budget) शब्द में ही है। इसकी उत्पत्ति एक फ्रेंच शब्द (Freanch Word) 'बॉजेट' (Bougette) से हुई है जिसका मतलब होता है 'चमड़े का थैला' (Leather Bag)।
सिर्फ दो दिनों बाद यानी 5 जुलाई (Budget Date 5 July) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) भी एक ब्रीफकेस (Budget Briefcase) लेकर संसद में बजट पेश (Union Budget 2019) करने पहुंचेंगी। ऐसा इस साल हमें दूसरी बार देखने को मिलेगा। अब देखना यह है कि कैसा होगा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का बजट बैग (Budget Bag Of Nirmala Sitharaman)।
इस परंपरा की शुरूआत कब हुई
इसकी शुरूआत 18 वीं सदी में हुआ था जब चांसलर ऑफ ब्रिटेन के बजट प्रमुख ने जब पहली बार अपना बजट पेश करने पहुंचे तब इसी तरह के ब्रीफकेस (Traditional Budget Briefcase) का प्रयोग किया था। उस समय ब्रिटिश बजट प्रमुख विलियम ई. ग्लैडस्टोन (William E. Gladstone) ने बजट पेश करने के लिए लाल रंग के ब्रीफकेस के साथ पार्लियामेंट पहुंचे और बजट के कागजात निकालकर सबके सामने पढ़ने लगे।
पहली बार बजट ब्रीफकेस का प्रयोग
जैसे भारतीय वित्त मंत्री (Indian Finance Minister) बजट के दिन संसद के बाहर एक ब्रीफकेस (Budget Briefcase) लिए जाते हुए दिखते हैं वैसे ही ब्रिटेन के बजट प्रमुख 11 डाउनिंग स्ट्रीट स्थित पार्लियामेंट में बजट पेश करने जाते हैं। भारत में भी यही परंपरा है हालांकि हर साल बजट ब्रीफकेस के रंग, आकार बदले-बदले नजर आते हैं। वहीं ब्रिटेन के 'लाल ग्लेडस्टोन बॉक्स' (Red Gladstone Box) का उपयोग 1860 के बाद से हर एक ब्रिटिश बजट (British Budget) में प्रयोग किया जाता था, हालांकि 2010 में ब्रिटेन का पारंपरिक 'लाल ग्लेडस्टोन बैग' (Red Gladstone Box) इतना पुराना व जर्जर हो गया कि इसे हटाना पड़ा।
छोटे से ब्रीफकेस में बंद होता है देश का भविष्य
भले ही यह ब्रीफकेस एक छोटा सा बक्सा नजर आता हो लेकिन इसमें भारत सरकार का वह कागजात भरा होता है जिसमें आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक प्रगति के भविष्य को तय करता है। इस ब्रीफकेस में यह छिपा होता है कि भारत सरकार किस क्षेत्र में कितना रूपया खर्च करने वाली है। किन क्षेत्रों में कितना निवेश करना है। ये सारी बातें इस छोटे से ब्रीफकेस में बंद होती है जिसकी तैयारी सरकार महीनों में तय करती है। इसे बनाने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण कराती है। तब जाकर ये अमूल्य दस्तावेज तैयार होता है।
भारत में इस परंपरा की शुरूआत
भारत में बजट दिवस पर एक ब्रीफकेस ले जाने का रिवाज 26 नवंबर 1947 को शुरू हुआ। तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने स्वतंत्र भारत का पहला बजट इसी ब्रिटिश परंपरा के तहत पेश किया था। नीचे दिए गए फोटोग्राफ में पहले वित्त मंत्री को ले जाते हुए देखा जा सकता है।
यशवंत सिन्हा ने काले रंग के ब्रीफकेस का किया प्रयोग
1998-99 के बजट के दौरान वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashvant Sinha) ने काले रंग के चमड़े के बैग को पट्टियों और बकल बजट पेश करने संसद पहुंचे। जबकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने 1991 के अपने बजट पेश करने के दौरान एक सादे काले बैग में बजट का दस्तावेज रखा था। जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranav Mukherjee) यूपीए के शासन (UPA Government) में वित्त मंत्री (Finance Minister) थे, तो वे एक लाल रंग के ब्रीफकेस के साथ संसद में आए, जो ब्रिटेन में इस्तेमाल होने वाले बजट बैग की तरह दिख रहा था।
नेहरू जैकेट जितना ही मशहूर है ये चलन
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने पिछले दो मौकों पर जिस सूटकेस का इस्तेमाल किया था उसे पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) द्वारा प्रयोग किया गया था। बजट पेश करने से पूर्व इस तरह का ब्रीफकेस ले जाना भारतीय वित्तमंत्रियों के लिए एक परंपरा की तरह रहा है। यह पुराना चलन भारतीय राजनीति (Indian Politics) में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि एक बंद गला (Bandgala) और नेहरू जैकेट (Nehru Jacket)।
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