Budget 2020: जानें टैक्स बचत के लिए केंद्रीय बजट 2020 में किए गए कौन-कौन से बदलाव

Budget 2020: जानें टैक्स बचत के लिए केंद्रीय बजट 2020 में किए गए कौन-कौन से बदलाव
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Budget 2020: वित्तमंत्री ने कहा है कि अगर आप नया टैक्स स्लैब लेते हैं तो 70 रियायतें खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा कई बदलाव किए गए हैं।

Budget 2020 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के 91वें बजट में कई बदलाव किए। उन्हीं बदलावों में से एक आईटी एक्ट में भी संशोधन करने की बात की गई। वित्तमंत्री ने कहा कि नया और पुराना दोनों तरह का टैक्स स्लैब लागू रहेगा।

केंद्र सरकार ने टैक्स करदाताओं पर यह छोड़ दिया है कि वह पुराने टैक्स स्लैब का हिस्सा बने रहना चाहते हैं या नये टैक्स स्लैब से जुड़ना चाहते हैं। इसके अनुसार यदि नये टैक्स स्लैब को कर्मचारी या आम जनता स्वीकार करती है तो उन्हें टैक्स रिबेट का फायदा नहीं मिल सकेगा। उनकी रियायतें वापस ले ली जाएंगी। यानी जिस तरह टैक्स के समय बीमा, मेडिक्लेम, छोटी बचत योजनाओं पर छूट रियायत मिलती थी। अब नये स्लैब पर इस छूट का लाभ नहीं मिल सकेगा।

तो आईए जानते हैं कि टैक्स बचत के लिए इस बजट में और क्या-क्या बातें की गई..

1. वित्तमंत्री ने कहा है कि अगर आप नया टैक्स स्लैब लेते हैं तो 70 रियायतें खत्म हो जाएंगी। लेकिन अगर आप रियायत से अपना टैक्स बचाना चाहते हैं तो आपको पुराने टैक्स स्लैब से जुड़े रहना होगा।

2. उन्होंने कहा कि पर्सनल इनकम टैक्स सर्विस शुरु की जाएगी जिससे लोगों को कम टैक्स भरना पड़ेगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा क्योंकि पुरानी प्रणाली से लोग बिना किसी की मदद के टैक्स नहीं भर पाते हैं।

3. इसके अतिरिक्त 5 से 7.5 लाख तक की आय वालों को अब 10 प्रतिशत का ही टैक्स देना होगा।

4. 15 लाख से ज्यादा आय वाले अगर रियायत नहीं लेते हैं तो उन्हें 1.95 लाख टैक्स चुकाना होगा जब कि पहले उन्हें 2.73 लाख टैक्स चुकाना पड़ता था।

5. अगर आप 45 लाख तक का घर खरीदते हैं तो आपको 1.5 लाख तक की एक्स्ट्रा छूट मिलेगी।

6. बजट में विवाद से विश्वास स्कीम शुरु करने की बात की गई है जिसके अन्तर्गत 4.83 लाख के डायरेक्ट टैक्स के केसों में फंसे लोगों को लेट फीस या ब्याज नहीं देना होगा। वो सिर्फ टैक्स का पैसा ही भरेंगे। 31 मार्च के बाद टैक्स भरने वालों को लेट फीस भरनी पड़ेगी।

7. इसके अतिरिक्त कॉर्पोरेट टैक्स में भी कुछ बदलाव किए गए जिसके अनुसार नई कंपनियों को अब 15 प्रतिशत और पुरानी कंपनियों को 22 प्रतिशत टैक्स देना होगा। यह इसलिए किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट्स करने वाली कंपनियों को लुभाया जा सके।

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