Cash-For-Query: कैश फॉर क्वेरी मामले में एथिक्स कमेटी का बयान, बोले- अभी तक बिजनेसमैन का पत्र नहीं मिला

Cash-For-Query: कैश फॉर क्वेरी मामले में एथिक्स कमेटी का बयान, बोले- अभी तक बिजनेसमैन का पत्र नहीं मिला
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Cash-For-Query: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन के साइन वाले हलफनामें पर प्रतिक्रिया दी है और उसे फर्जी बताया है। वहीं, एथिक्स कमेटी ने कहा कि हमें बिजनेसमैन की तरफ से अभी तक कोई पत्र नहीं मिला। पढ़ें रिपोर्ट...

Cash-For-Query Row: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के साइन वाले हलफनामे पर एक कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें संसद में कुछ सवाल पूछने के लिए पैसे और गिफ्ट लेने के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के दावों की पुष्टि की गई है। मोइत्रा ने कहा कि दर्शन हीरानंदानी जैसे प्रमुख व्यवसायी आमतौर पर किसी भी जरूरी कागज पर इतनी जल्दी साइन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वे ऐसा जब ही करेंगे जब उन के सिर पर बंदूक रखी गई हो। वहीं, एथिक्स कमेटी के प्रमुख विनोद सोनकर ने कहा कि उन्हें कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में तृणमूल कांग्रेस महुआ मोइत्रा के खिलाफ व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी का पत्र अभी तक नहीं मिला है।

एथिक्स पैनल चीफ बोले- कोई पत्र नहीं मिला

सोनकर ने कहा कि समिति इस मामले में सबूतों की जांच करेगी क्योंकि यह एक गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि समिति इस मुद्दे की जांच करेगी। हमने पार्टियों से समिति को सबूत सौंपने के लिए कहा है। गुरुवार को एथिक्स पैनल को सौंपे गए अपने हलफनामे में, हीरानंदानी ने आरोप लगाया कि मोइत्रा ने अपनी संसदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड साझा किया था ताकि वह उनकी तरफ से सवाल पूछ सकें।

टीएमसी सांसद ने दी थी प्रतिक्रिया

पत्र को मजाक बताते हुए मोइत्रा ने आगे दावा किया कि हलफनामा पीएमओ में कुछ आधे-बुद्धिमान लोगों द्वारा तैयार किया गया था, जो भाजपा के आईटी सेल में एक रचनात्मक लेखक के रूप में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की गई थी। मोदी और अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी ने अपने कथित भ्रष्टाचार में विभिन्न राजनीतिक विरोधियों और खोजी पत्रकारों को फंसाया है।

सिरिल श्रॉफ गौतम अडानी के समधी हैं और हितों के टकराव के मामले में सेबी की समिति में थे। राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों ऐसे लोग हैं जिन्हें सरकार लगातार निशाना बनाती रहती है। सुचेता दलाल एक खोजी पत्रकार हैं जो हमेशा सरकार को बेनकाब करती रहती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनके करीबी लोगों को डराने का प्रयास कर रही है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच की धमकी भी शामिल है।

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