CAA: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब, कहा संविधान के दायरे में है सीएए

CAA: सुप्रीम कोर्ट में सीएए के खिलाफ दायर याचिका में केंद्र ने अपना जवाब दिया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि सीएए किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं करता है। केंद्र ने अपने 129 पेज के शपथपत्र में सीएए को कानूनी बताते हुए कहा है कि यह किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।
शपथपत्र में ये भी कहा गया है कि सीएए किसी भी अधिकारी को मनमाना और अनुत्तरित अधिकार नहीं देता है। साथ ही सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों को संविधान के नियमों के अनुसार ही नागरिकता देने की बात करता है।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने दायर की थी याचिका
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि सीएए धर्मनिरपेक्षता के कानून का हनन करता है जो कि संविधान के मूल स्वरूप का एक अंग है। साथ ही यह बराबरी और जीवन के मौलिक अधिकारों को भी नष्ट करता है।
केरल ने दायर की थी पहली याचिका
सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाला पहला राज्य केरल था। साथ सीएए के खिलाफ रिजोल्यूशन पास करने वाला भी पहला राज्य केरल ही था। जिसके बाद राजस्थान दूसरा राज्य बना जिसने सीएए को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 18 दिसंबर को निर्णय लिया था कि सीएए की संवैधानिक वैधता की जांच की जाएगी। जिसके बाद केंद्र को नोटिस जारी किया गया था कि वो अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में सब्मिट करें।
क्या है सीएए
सीएए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रयास करता है। जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए थे।
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