Windfall Tax: केंद्र सरकार ने विंडफॉल टैक्स में की बढ़ोतरी, डीजल की कीमतों पर पड़ेगा असर

Windfall Tax: केंद्र सरकार ने विंडफॉल टैक्स में की बढ़ोतरी, डीजल की कीमतों पर पड़ेगा असर
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Windfall Tax: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज से कुछ पेट्रोलियम उत्पादों पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी लागू कर दी है। विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) 1,600 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 4,250 रुपये प्रति टन कर दिया। यहां पढ़ें विंडफॉल टैक्स क्या होता है...

Windfall Tax: भारत सरकार ने आज यानी 1 अगस्त, 2023 से कुछ पेट्रोलियम उत्पादों पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी लागू कर दी है। घरेलू कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) 1,600 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 4,250 रुपये प्रति टन कर दिया। इसके साथ ही, डीजल पर भी विंडफॉल टैक्स को पहले शून्य से बढ़ाकर 1 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। वहीं, पेट्रोल और विमानन टरबाइन ईंधन (Aviation Turbine Fuel) पर टैक्स में कोई भी बदलाव नहीं किया है।

सरकार द्वारा तेल उत्पादकों और ईंधन निर्यातकों के मुनाफे पर कर लगाने के लिए अप्रत्याशित लाभ कर लगाया गया था। इंटरनेशनल बाजार (International Market) में ईंधन पर मार्जिन में उतार-चढ़ाव और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर हर पखवाड़े में एक बार शुल्क में बदलाव किया जाता है। सऊदी अरब और रूस (Russia) द्वारा आपूर्ति में कटौती के कारण वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें फिर से बढ़ गई हैं, जिसके बाद, इस साल मई और जून में 75 प्रति बीबीएल के औसत से नीचे रहने के बाद भारतीय कच्चे तेल की टोकरी 13 जुलाई को 80.92 प्रति बीबीएल तक पहुंच गई है।

पिछली साल ही लागू किया गया था विंडफॉल टैक्स

भारत ने सबसे पहले विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) को पिछले साल 1 जुलाई 2022 को लागू किया था। इस टैक्स को लगाकर भारत भी उन देशों की सूची में शामिल हो गया था, जो तेल कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाती है और अधिक लाभ कमाने पर लगाम लगाती है। उस समय पेट्रोल पर 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का टैक्स लगाया जाता था। भारतीय बाजार में तेल की आपूर्ति के लिए और सरकारी टैक्स में बढ़ोतरी के लिए इस विंडफॉल टैक्स को लगाया गया था।

जानें क्या होता है विंडफॉल टैक्स

तेल कंपनियों के द्वारा ज्यादा लाभ कमाने को लेकर यह विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) लगाया जाता है। जब सरकार किसी भी कारोबार के टैक्स में अचानक से वृद्धि को देखती है, तो इस तरह के शुल्क को लगाया जाता है। इसको सरल शब्दों में समझने का प्रयास करें तो सरकार कंपनियों के मुनाफे का कुछ भाग टैक्स के रूप में अपने पास रख लेती है।

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