Global Hunger Index का खुलासा: भुखमरी को लेकर भारत के Pak से भी ज्यादा हालात हुए खराब, विपक्ष ने केंद्र को घेरा

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में भारत की रैंकिंग और भी खराब हो गई है। भुखमरी से जुड़ी इस रैंकिंग में भारत 6 पायदान और नीचे गिर गया है। जिसको लेकर भारत सरकार (Government of India) ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 (Global Hunger Index) की रैंकिंग (Ranking) पर आपत्ति दर्ज कराई है। भारत सरकार ने कहा है कि यह चौंकाने वाली बात है कि इस लिस्ट में भारत का रैंक इतना नीचे है।
इतना ही नहीं, सरकार ने इंडेक्स को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली को अवैज्ञानिक करार दिया है। वही विपक्षी दलों ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को लेकर केंद्र सरकार (Central government) पर हलावर है। जारी की गई ग्लोबल हंगर इंडेक्स की सूची के अनुसार भारत 107वें स्थान पर आ गया है और यह रैंकिंग 121 देशों की है। यानी 121 देशों में भारत 107वें स्थान पर है। इससे पहले भारत 116 देशों की रैंकिंग में 101वें स्थान पर था।
हैरानी की बात यह है कि भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है। दक्षिण एशिया के देशों में अफगानिस्तान के बाद भारत का सबसे ज्यादा बुरा हाल है। आपको बता दें कि इससे पहले साल 2020 में भारत 94वें स्थान पर था। यह रैंकिंग जीएचआई स्कोर के आधार पर जारी की जाती है और भारत का यह स्कोर लगातार घट रहा है। फिलहाल भारत का स्कोर 29.1 है।
वर्ष 2000 में यह 38.8 था, जो 2012 और 2021 के बीच 28.8 27.5 के बीच रहा। जीएचआई स्कोर की गणना चार संकेतकों पर की जाती है, जिसमें अल्पपोषण, कुपोषण, बाल विकास दर और बाल मृत्यु दर शामिल हैं। वही इस लिस्ट में पाकिस्तान की रैंक 92, नेपाल की रैंक 76 और बांग्लादेश की रैंक भी 76 है। भारत के पड़ोसी देशों नेपाल (76), बांग्लादेश, म्यांमार (71) और पाकिस्तान (92) की स्थिति भी चिंताजनक बताई गई है।
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक नागरिकों को खाना मुहैया कराने के मामले में उनकी स्थिति भारत से बेहतर है। वही दूसरी ओर ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस (Congress) प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने कहा सरकार ने भूख के मामले में नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा, अगर देश की जनता ठीक से पेट नहीं भर सकते हैं तो सिंहासन पर बैठे शासक की विश्वसनीयता और दक्षता पर सवालिया निशान लग जाता है।
इसके अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भूख मिटाने के यूपीए (UPA) के प्रयासों, खासकर 'भोजन का अधिकार' अधिनियम को कमजोर कर दिया गया है और गरीबों को खुद के लिए छोड़ दिया गया है। केंद्र सरकार को जल्द ही अपनी विफलता को सुधारना होगा।
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