Chamki Bukhar: चमकी बुखार से अब तक 128 बच्चों की मौत, 418 बच्चों का अस्पतला में चल रहा इलाज

Chamki Bukhar: चमकी बुखार से अब तक 128 बच्चों की मौत, 418 बच्चों का अस्पतला में चल रहा इलाज
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चमकी बुखार से पीड़ित 75 बच्चे बुधवार को अस्पताल में भर्ती किए गए है। बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 128 तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट और पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायार।

चमकी बुखार से पीड़ित 75 बच्चे बुधवार को अस्पताल में भर्ती किए गए है। बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 128 तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट और पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायार। 418 बच्चों का इलाज चल रहा है जिसमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। लेकिन अभी तक न तो सरकार, न डॉक्टर ये तय कर पाए हैं कि ये बीमारी कौन सी है। मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में इसे चमकी कहा जा रहा है।

बीमारी की असल वजह क्या है उसका पता लगाने के लिए न तो बिहार सरकार और न ही केंद्र सरकार के पास समय है। मौत की शुरुआत के करीब 20 दिन बाद मंगलवार सुबह-सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल पहुंचे। नीतीश के पहुंचने के बाद बच्चों के मां बाप को उम्मीद थी कि उनके नौनिहालों के साथ हवा में तीर की तरह हो रहे इलाज का कुछ इलाज होगा, दवाएं मिलेंगी, अस्पताल की सेहत सुधरेगी, लेकिन सीएम साहब की पर्देदारी देखकर लोगों के सब्र का बांध टूट गया। लोग नारे लगाते रहे और नीतीश अस्पताल प्रशासन की पीठ थपथपाकर आराम से निकल लिए।

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर

चमकी बुखार से हो रही मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। दो वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि बीमारी से प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू बनाने का आदेश दिया जाए, प्रभावित इलाकों में मेडिकल एक्सपर्ट टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं और 100 मोबाइल आईसीयू मुजफ्फरपुर भेजे जाएं। इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए।

केंद्र और बिहार को एनएचआरसी का नोटिस

इस बीच चमकी बुखार के कारण लगातार बढ़ रही मौतों की तादाद को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने को लेकर नोटिस जारी किया है। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि मुजफ्फरपुर के अलावा राज्य के कुछ अन्य जिले भी इससे प्रभावित हुए हैं। आयोग ने इसे लेकर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही यह भी पूछा कि अस्पताल में भर्ती बच्चों को किस तरह का इलाज दियाजा रहा है और पीड़ित परिवारों को राज्य सरकार किस तरह की सहायता उपलब्ध कराई गई है। आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है।

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