चंद्रयान-2 : ISRO की विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद खत्म, नासा भी फेल

चंद्रयान-2 : ISRO की विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद खत्म, नासा भी फेल
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सात सितंबर यानी शनिवार को तड़के 1: 50 बजे के करीब चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का विक्रम लैंडर (Vikram Lander) चांद (Moon) के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर गिरा था।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organisation) ISRO के वैज्ञानिक अब भी मिशन मून (Mission Moon) चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) से संपर्क करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन विक्रम लैंडर से धीरे-धीरे संपर्क की उम्मीद खत्म होती जा रहा है। क्योंकि चांद पर रात होने में करीब 3 घंटे ही बचे हैं और विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाया है।

सात सितंबर यानी शनिवार को तड़के 1:50 बजे के करीब चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का विक्रम लैंडर (Vikram Lander) चांद (Moon) के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर गिरा था। उस समय चांद पर सूरज की रोशनी पड़नी शुरू हो गई थी यानी वहां पर सुबह थी।

चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। चांद पर 20 या 21 सितंबर को रात हो जाएगी। अब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का समय समाप्त हो जाएगा। आज 18 सितंबर है और चांद पर 20-21 सितंबर को रात होने वाली है, रात होने में करीब 3 घंटे से भी कम का समय बचा है।


नासा ने भी माना अब विक्रम लैंडर से संपर्क मुश्किल

रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने एक समाचार चैनल को बताया था कि अब चांद पर रात होने लगी है। उन्होंने कहा था कि हमारा लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो ले सकता है पर यह नहीं कहा ती तस्वीरे स्पष्ट आएंगी।

इसकी वजह यह है कि शाम के समय सूरज की रोशनी कम होती है। ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना चुनौतीपूर्ण काम है। जो तस्वीरें आएंगी हम उन्हें इसरो से साझा करेंगे।

शाम होने की वजह से विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद बहुत कम

इसरो और दुनिया भर की अन्य एजेंसियों के वैज्ञानिक यदि 20-21 सितंबर तक विक्रम लैंडर से संपर्क सफल होते हैं तो ठीक है। फिर दोबारा विक्रम लैंडर से संपर्क करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। क्योंकि, चांद पर रात शुरू हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होगी है। इस दौरान चांद के उसे हिस्से पर रोशनी नहीं पड़ेगी जहां पर विक्रम लैंडर है।

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