Chandrayaan 2 : भारत ने रचा इतिहास, चांद फतह पर निकला चंद्रयान 2, ISRO चीफ के सिवन बोले- ऐतिहासिक शुरुआत हुई

Chandrayaan 2 : भारत ने रचा इतिहास, चांद फतह पर निकला चंद्रयान 2, ISRO चीफ के सिवन बोले- ऐतिहासिक शुरुआत हुई
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Chandrayaan 2 Live Update चंद्रयान 2 का काउंटडाउन (Chandrayaan 2 Countdown Live) रविवार शाम 6.43 बजे शुरू हुआ और 22 जुलाई 2019 सोमवार दोपहर 2:43 पर लॉन्च किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) के चीफ के सिवन ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी मार्क-3 GSLV Mk III) के जरिये 44 मीटर लंबा और 640 टन का रॉकेट में रखे 3.8 टन का चंद्रयान 2 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

Chandrayaan 2 Live Update Live Update चंद्रयान 2 का काउंटडाउन (Chandrayaan 2 Countdown Live) रविवार शाम 6.43 बजे शुरू हुआ और 22 जुलाई 2019 सोमवार दोपहर 2:43 पर लॉन्च किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) के चीफ के सिवन ने बताया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी मार्क-3 GSLV Mk III) के जरिये 44 मीटर लंबा और 640 टन का रॉकेट में रखे 3.8 टन का चंद्रयान 2 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। भारत का दूसरा सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-2 की लागत 603 करोड़ रुपये है जबकि जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट की कीमत 375 करोड़ रुपये है। पृथ्वी से चांद की दूसरी लगभग 3.844 किलोमीटर है और जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट ही चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा, जहाँ से रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम की चाँद की यात्रा शुरू होगी। सितंबर या अक्टूबर तक लैंडर विक्रम चांद पर पहुंचेगा और इसके बाद रोवर प्रज्ञान वहां काम शुरू करेगा। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।

Chandrayaan 2 Live Update

पीएम मोदी ने दिया ऑडियो संदेश


जमीन से पृथ्वी की सतह पर स्थापित हुआ मिशन चंद्रयान 2 29 दिन की यात्रा कर पहुंचेगा चंद्रमा की कक्ष में

पीएम मोदी ने लिखा कि मिशन चंद्रयान 2 एक अद्वितीय है क्योंकि यह चंद्रमा के साउथ पोल के क्षेत्र का पता लगाएगा और चंद्रयान 2 जैसे प्रयास हमारे उज्ज्वल युवाओं को विज्ञान, अनुसंधान और इनोवेशन की तरफ प्रोत्साहित करेंगे। चंद्रयान के लिए धन्यवाद, भारत के चंद्र कार्यक्रम को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा। चंद्रमा के बारे में हमारा मौजूदा ज्ञान काफी बढ़ाया जाएगा। यह मिशन चंद्रमा के बारे में नया ज्ञान प्रदान करेगा।

पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक दिन पर देशवासियों को बधाई दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि हर भारतीय को बहुत खुशी होगी। चंद्रयान 2 पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है। यह चंद्रमा की सुदूर संवेदन के लिए एक ऑर्बिटर होगा और चंद्रमा की सतह के विश्लेषण के लिए लैंडर-रोवर मॉड्यूल भी होगा।

इसरो चीफ के सिवन ने कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मिशन ने सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर लिया। यह वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने के लिए चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरते ही भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत होगी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने चंद्रयान 2 की सफलतापूर्व लॉन्चिंग पर वैज्ञानिकों को बधाई दी। इस मिशन के लिए उन्होंने सभी का धन्यवाद किया।

उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडु ने चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के बाद सभी को बधाई दी। राज्यसभा में उन्होंने अपने संबोधन में इस ऐतिहासिक पर पर वैज्ञानिकों को बधाई दी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख के सिवन और अन्य वैज्ञानिकों ने GSLVMkIII-M1 के सफलतापूर्वक जश्न मनाने के बाद चंद्रयान 2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर लिया है।

चंद्रयान 2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग को लेकर इसरो चीफ के सिवन ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी

- चांद पर निकला मिशन चंद्रयान 2 देखें लाइव

- इसरो ने बताया कि GSLV MkIII-M1 के लिए क्रायोजेनिक चरण C25 (Cryogenic Stage C25) में तरल हाइड्रोजन को भरने की प्रक्रिया को पूरा किया गया।

- इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट में लिखा कि क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी कितनी है? औसत दूरी 3, 84, 000 किमी है, जैसे ही हमारी यात्रा शुरू होती है, विक्रम लैंडर मिशन के 48 वें दिन चंद्रमा पर उतरेगा, जो आज से शुरू हो रहा है।

- आने वाले 2 घंटे में लॉन्च होगा मिशन चंद्रयान 2, GSLVMkIII-M1 के क्रायोजेनिक चरण (C25) में तरल ऑक्सीजन का काम पूरा और हाइड्रोजन रॉकेट में भरी जा रही है।

- #GSLVMkIII-M1 के क्रायोजेनिक चरण (C25) के लिए तरल हाइड्रोजन भरा जा रहा है।

चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के लिए कम से कम पांच घंटे का वक्त रह गया है। #GSLVMkIII-M1 के क्रायोजेनिक चरण (C25) के लिए तरल ऑक्सीजन भरा जा रहा है।

आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग को देखने और लाइव गवाह बनने के लिए लोग एकजुट हो रहे हैं।

रॉकेट GSLVMkIII-M1 (L110) के एन204 में ईंधन भर लिया गया है। चंद्रयान 2 को 2.40 पर लॉन्च किया जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान 2 लॉन्च करेगा।

रॉकेट #GSLVMkIII-M1 में तरल कोर चरण (L110) का UH25 (ईंधन) भर लिया गया है।

रॉकेट #GSLVMkIII-M1 में तरल कोर चरण (L110) का UH25 (ईंधन) भरा जा रहा है।

चंद्रयान 2 का काउंटडाउन रविवार शाम 6.43 बजे शुरू हो गया और अब चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019, सोमवार को दोपहर 2:43 पर लॉन्च किया जाएगा।

'अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण पर भी ज्यादा ध्यान दे। इसरो को शोध के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी। क्योंकि जैसे-जैसे अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढेगी अन्वेषण महत्वपूर्ण होता जाएगा। इस काम इसके लिए सरकार को इसरो का बजट भी बढ़ाना पड़ेगा। विदेशी उपग्रहों को अधिक संख्या में प्रक्षेपित करने के लिए अब हमें पीएसएलवी के साथ-साथ जीएसएलवी रॉकेट का भी उपयोग करना होगा। चंद्रयान-2 के लिए जीएसएलवी रॉकेट का ही प्रयोग किया जाना है, लेकिन पीएसएलवी अपनी सटीकता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भारी उपग्रहों के लिए जीएसएलवी का प्रयोग करना होगा।

वैसे तो भारत के पहले सफल चंद्र मिशन और मंगल मिशन के बाद से ही इसरो व्यावसायिक तौर पर काफी सफल रहा है और इसरो के प्रक्षेपण की बेहद कम लागत की वजह से दुनियां भर के कई देश अब इसरो से अपने उपग्रहों की लांचिंग करा रहे हैं। अंतरिक्ष बाजार में भारत के लिए संभावनाएं बढ़ रही है, हमने अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोड़ा है। असल में, इन देशों को हमेशा यह लगता रहा है कि भारत यदि अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसी तरह से सफलता हासिल करता रहा तो उनका न सिर्फ उपग्रह प्रक्षेपण के क़ारोबार से एकाधिकार छिन जाएगा बल्कि मिसाइलों की दुनिया में भी भारत मजबूत होकर बड़ी ताकतों को चुनौती देने लगेगा।

पिछले दिनों दुश्मन मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता वाली इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल प्रक्षेपण इस बात का सबूत है कि भारत बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा तंत्र के विकास में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर चुका है। हमने दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त करने के लिए सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल बना कर दुनिया के विकसित देशों की नींद उड़ा दी है।

एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका ने भारत के उपग्रहों को लाॅच करने से मना कर दिया था। आज हालात ये है कि अमेरिका सहित तमाम देश भारत के साथ व्यावसायिक समझौता करने को इच्छुक हैं। पूरी दुनिया में सैटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन प्रसारण, मौसम की भविष्यवाणी और दूरसंचार का क्षेत्र बहुत तेज गति से बढ़ रहा है। चूंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से संचालित होती हैं।

इसलिए संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग तेजी से बढ़ रही है। हालांकि इस क्षेत्र में चीन, रूस, जापान आदि देश प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन यह बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यह मांग उनके सहारे पूरी नहीं की जा सकती। ऐसे में भारत के लिए बहुत संभावनाएं है। कम लागत और सफलता की गारंटी इसरो की बड़ी ताकत है। जिसकी वजह से स्पेस इंडस्ट्री में आने वाला समय भारत का होगा। चंद्रयान-2 के लिए भारत ने खुद बनाया अपना लैंडर-रोवर नवंबर 2007 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा था कि वह इस प्रोजेक्ट में साथ काम करेगा। वह इसरो को लैंडर देगा।

2008 में इस मिशन को सरकार से अनुमति मिली। 2009 में चंद्रयान-2 का डिजाइन तैयार कर लिया गया। जनवरी 2013 में लॉन्चिंग तय थी, लेकिन रूसी अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर नहीं दे पाई। बाद में भारत ने खुद अपना लैंडर-रोवर बनाया स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर विक्रम और दो पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया का हैं।

लैंडर विक्रम का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉक्टर विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर 27 किलोग्राम प्रज्ञान का मतलब संस्कृत में बुद्धिमता है। कुल मिलाकर इस मिशन की सफलता से यह साफ हो जाएगा कि हमारे वैज्ञानिक किसी के मोहताज नहीं हैं। अब तो अमेरिका भी अपने सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए भारत की लगातार मदद ले रहा है।

जो अंतरिक्ष बाजार में भारत की धमक का संकेत है, अमेरिका 20वां देश है जो कमर्शियल लांच के लिए इसरो से जुड़ा है। भारत से पहले अमेरिका, रूस और जापान ने ही स्पेस ऑब्जर्वेटरी लांच किया है। वास्तव में नियमित रूप से विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष क्षमता की वैश्विक अभिपुष्टि है। अमेरिका की फ्यूट्रान कॉरपोरेशन की एक शोध रिपोर्ट भी बताती है कि अंतरिक्ष जगत के बड़े देशों के बीच का अंतरराष्ट्रीय सहयोग रणनीतिक तौर पर भी सराहनीय है।

वास्तव में इस क्षेत्र में किसी के साथ सहयोग या भागीदारी सभी पक्षों के लिए लाभदायक स्थिति है। इससे बड़े पैमाने पर लगने वाले संसाधनों का बंटवारा हो जाता है। खासतौर पर भारी खर्च का। यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा की श्रेष्ठता का गवाह भी है। भविष्य में अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी क्योकि यह अरबों डालर का मार्केट है। भारत के पास कुछ बढ़त पहले से है, इसमें और प्रगति करके इसका बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उपयोग संभव है।

भारत अंतरिक्ष विज्ञान में नई सफलताएं हासिल कर विकास को अधिक गति दे सकता है। देश में गरीबी दूर करने और विकसित भारत के सपने को पूरा करने में इसरो मददगार हो सकता है। इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। इसका मकसद, चंद्रमा की जानकारी जुटाना है। ऐसी खोज करना जिनसे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा होगा।

इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही भावी चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव होंगे। ताकि भविष्य के चंद्र अभियानों की नई टेक्नोलॉजी को बनाने और उन्हें तय करने में मदद मिले। मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना, उसकी भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन, और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है।

मिशन में तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर भेजे जा रहे हैं। चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी। कुल मिलाकर चंद्रयान 2 मिशन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष शोध की नई संभावनाओं को भी जन्म देगा।'

लेखक शशांक द्विवेदी

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