चीन के नई भूमि सीमा कानून पर भारत का जवाब, द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा असर

चीन की नई भूमि सीमा कानून पॉलिसी (China's new land border law policy) को लेकर भारत ने चिंता व्यक्त की है। जिसे बीते दिनों बीजिंग से जारी कर कहा गया कि ये देश के सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा और शोषण के लिए अपनाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने मीडिया के सामने भारत का पक्ष रखा।
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अरिंदम बागची ने कहा कि चीन का एकतरफा फैसला दोनों देशों के मौजूदा संबंधों पर असर डाल सकता है। सीमा का सवाल हमारे लिए चिंता का विषय है। इस नए कानून का पारित होना हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कोई वैधता नहीं देता है। जिसे भारत सरकार ने लगातार बनाए रखा है, जो अवैध और अमान्य समझौता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि चीन उस कानून के बहाने कार्रवाई करने से बच जाएगा जो भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में स्थिति को एकतरफा बदल सकता है।
जानें क्या है चीन का नया भूमि सीमा कानून
चीन में जिस नए कानून को मंजूरी दी गई है। उसके तरह चीन के बॉर्डरी इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था टाइट कर दी जाएगी, इसके अलावा इन इलाकों में आर्थिक, सामाजिक विकास के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्रों और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ावा दिया जाएगा।। स्थानीय लोगों को सीमा सुरक्षा और सामाजिक विवाद के हो रही परेशानियों को निपटाया जाएगा। चीनी न्यूज एजेंसी ने कहा कि इस कानून के तहत चीन समानता, परस्पर विश्वास और मित्रतापूर्ण वार्तालाप के सिद्धांतों का पालन करेगा और पड़ोसी देशों के साथ जो सीमा विवाद है उससे निबटेगा। भारत-चीन सीमा विवाद से चीन की सरकार अपनी शर्तों पर समाधान निकालेगी।
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