चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन, पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने शोक जताया

चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन, पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने शोक जताया
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सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के सीएम के अलावा कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का आज कोरोना वायरस की वजह से निधन हो गया है। वह 95 साल के थे। सुंदरलाल बहुगुणा ने ऋषिकेश के एम्स में अंतिम सांस ली है। खबरों से मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनों उनका कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया था। हालत बिगड़ने पर उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती करवाया गया। मगर आज इलाज के दौरान उनका निधन हो गया है। सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के सीएम के अलावा कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा कि श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। सुंदरलाल बहुगुणा ने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को प्रकट किया है। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मेरे विचार उनके परिवार और कई प्रशंसकों के साथ हैं। शांति।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने ट्विटर अकाउंट से हिंदी में ट्वीट किया है। सीएम ने लिखा कि चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। सीएम तीरथ सिंह रावत ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास सदैव याद रखे जाएंगे। बता दें कि सीएम के अलावा भी कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा बीते कई वर्षों से हिमालय में वनों के संरक्षण के लिए लड़ रहे थे। सुंदरलाल बहुगुणा पहले 1970 के दशक में चिपको आंदोलन के प्रमुख सदस्य में से एक थे। बाद में 1980 के दशक से शुरू होकर 2004 के शुरू में एंटी टिहरी डैम आंदोलन की अगुवाई भी की थी।

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