Christmas Day 2020 Date and Time : जानें किस दिन दुनिया भर में मनाया जाएगा क्रिसमस डे, कैसे हुई थी शुरुआत

क्रिसमस पर्व की तैयारियां भी बड़ी धूमधाम के साथ होती हैं। ईसाई धर्म का क्रिसमस महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे हर साल 25 दिसंबर को ही मनाया जाता है। क्रिसमस पर्व स्वयं में इतना व्यापक है कि दुनियाभर में हर धर्म के लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इसलिए क्रिसमस पर्व को सामाजिक त्यौहार कहना ज्यादा बेहतर होगा। यूनाइटेड नेशन (संयुक्त राष्ट्र संघ) के आंकड़ों के आधार पर, क्रिसमस पर्व को दुनिया में करीब 150 करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। इसके अलावा क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहा जाता है।
ईसाई धर्म की मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि यीशु (ईसा मसीह) का जन्म इस दिन हुआ था। ईसा मसीह को ईसाई ईश्वर मानते हैं। इसको लेकर ही गिरजाघरों में क्रिसमस डे पर प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियां प्रस्तुत होती हैं व चर्च में प्रार्थना की जाती है। क्रिसमस डे पर ईसाई धर्म के लोग गिरजाघरों में एकत्रित होकर प्रभु यीशु की आराधना करते हैं। लोग एक दूसरे को क्रिसमस डे पर क्रिसमस की हार्दिक बधाईयां एवं शुभकामनायें देते हैं।
इतिहास कारों में क्रिसमस के इतिहास को लेकर मतभेद है। कइयों के अनुसार, यह क्रिसमस पर्व यीशु के जन्म के पूर्व से ही मनाया जा रहा है। क्रिसमस पर्व रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया का ही नया रूप है। मान्यताओं के अनुसार, सैंचुनेलिया रोमन देवता है। बाद में जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे।
25 दिसंबर को चुनने के पीछे की वजह
याद रहे, सन 98 से लोग क्रिसमस पर्व को लगातार मना रहे हैं। बल्कि सन 137 में रोमन बिशप ने क्रिसमस त्यौहार को मनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। हालांकि तब इसे मनाने का कोई निश्चित दिन नहीं था। इसलिए सन 350 में रोमन पादरी यूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में घोषित कर दिया गया।
दूसरी मान्यता के आधार पर, शुरू में स्वयं धर्माधिकारी 25 दिसंबर को क्रिसमस को इस रूप में मनाने की मान्यता देने को तैयार नहीं थे। यह वास्तव में रोमन जाति के एक त्योहार का दिन था और इस दिन सूर्य देवता की प्रार्थना की जाती थी। इसी दिन सूर्य का जन्म हुआ, यह माना जाता था। पर जब ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ तो ऐसा कहा गया कि यीशु ही सूर्य देवता के अवतार हैं व फिर उनकी पूजा होना शुरू हो गई। हालांकि इसे मान्यता नहीं मिली सकी थी।
क्रिसमस त्यौहार मनाने का सही तरीका
क्रिसमस त्यौहार एक बड़ा पर्व है इस वजह से इसकी तैयारियां भी बड़ी होती हैं। क्रिसमस ट्री, सेंटा, ग्रीटिंग्स कार्ड व बांटे जाने वाले उपहार इस पर्व के मुख्य शोभा है। क्रिसमस पर्व आते ही लोगों में उत्साह बढ़ जाता है। इस पर्व पर लोग मित्रों व अपने परिजनों को कार्ड या कोई सौगात देकर उन तक अपनी बधाइयां भेजते हैं। क्रिसमस कार्ड डे के रूप में कार्ड लेने व देने के इस प्रचलन के कारण हर साल नौ दिसंबर को मनाया जाता है। वैसे तो अब तो डिजिटल युग है। इसलिए लोग क्रिसमस कार्ड की फोटो या इमेजेस ऑनलाइन भेजकर लोगों को क्रिसमस पर्व की एक दूसरे को बधाई देते हैं। लोग सोशल मीडिया में क्रिसमस स्टेटस को दोस्तों व रिश्तेदारों से साझा करते हैं। लाइट्स व झालरों से सजे और टिम-टिमाते हुए गिरजाघरों में लोग यीशु की प्रार्थना करते हैं। कई जगह क्रिसमस के मौके पर झाकियां व जुलूस आदि भी निकाले जाते हैं।
क्रिसमस पर्व का संदेश
क्रिसमस पर्व शांति व सदभावना का प्रतीक है। क्रिसमस पर्व लोगों को शांति का भी संदेश देता है। बाइबल में यीशु को शांति का दूत कहा गया है। यीशु हमेशा वक्तव्यों में कहते थे- शांति तुम्हारे साथ हो. शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा व युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है।
भारत में क्रिसमस पर्व को लेकर खास
भारत में वैसे तो ढाई प्रतिशत ईसाई लोग रहते हैं। पर यहां क्रिसमस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। खासकर भारत के गोवा में कई लोकप्रिय चर्च हैं, यहां क्रिसमस बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इनमें से भी ज्यादतर चर्च भारत में ब्रिटिश व पुर्तगाली शासन के वक्त स्थापित किए गए थे। भारत के कई बड़े चर्चों मे गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्डरनेस व सेंट जोसफ कैथेड्रिल और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कैथेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि आदि शामिल हैं।
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