यौन उत्पीड़न मामलाः CJI को क्लीनचिट मिलने पर शिकायतकर्ता महिला ने मांगी जांच रिपोर्ट की कॉपी

यौन उत्पीड़न मामलाः CJI को क्लीनचिट मिलने पर शिकायतकर्ता महिला ने मांगी जांच रिपोर्ट की कॉपी
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यौन उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने सोमवार को सीजेआई रंजन गोगोई को क्लीनचिट दी है। इसके खिलाफ सोमवार को जहां महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के गेट के बाहर प्रदर्शन किया वहीं शिकायतकर्ता महिला ने इस क्लीनचिट को लेकर रिपोर्ट की एक कॉपी की मांग की है।

यौन उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने सोमवार को सीजेआई रंजन गोगोई को क्लीनचिट दी है। इसके खिलाफ सोमवार को जहां महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के गेट के बाहर प्रदर्शन किया वहीं शिकायतकर्ता महिला ने इस क्लीनचिट को लेकर रिपोर्ट की एक कॉपी की मांग की है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने सीजेआई रंजन गोगोई को क्लीनचिट देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई 'ठोस आधार' नहीं मिला है।

सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय की एक नोटिस में कहा गया था कि न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट 'सार्वजनिक नहीं की जाएगी।' समिति में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं।

बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीनचिट मिलने के बाद महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आज सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के बाहर धारा 144 को लगा दिया गया।

बता दें कि पुलिस ने दिल्ली की लूटियंस जोन में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा रखा है। नारेबाजी के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी। बता दें, सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे।

इस मसले पर सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह से अन्यायपूर्ण लग रही है। पीड़िता को रिपोर्ट क्यों नहीं दी जा सकती है? यह गलत है। जब वे मामले को खारिज कर रहे हैं, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं पर और अधिक सवाल उठते हैं। यह अन्याय है। सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों ने भी शिकायतकर्ता को रिपोर्ट देने की मांग भी की है।

फैसले पर शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि वह 'बेहद निराश और हताश' हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक के तौर पर उनके साथ 'घोर अन्याय' हुआ है और उनका 'सबसे बड़ा डर' सच हो गया तथा देश की सर्वोच्च अदालत से न्याय की उनकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई हैं। महिला ने प्रेस के लिए एक बयान जारी कर कहा कि वह अपने वकील से परामर्श कर आगे के कदम के बारे में फैसला करेंगी।

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