पेट्रोल-डीजल होगा सस्ता, इतने रुपये तक कम हो सकते हैं रेट, समझिए पूरा गणित

भारत में जल्द ही पेट्रोल और डीजल (petrol diesel) सस्ता हो सकता है। लंबे समय से भाव स्तर रहने के बाद आने वाले दिनों में कीमतों में 14 रुपये तक की गिरावट आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों (crude oil prices) में भारी गिरावट ने भारत में ईंधन की कीमतों (fuel prices in India) में संभावित कमी की उम्मीद फिर से जगा दी है।
इंटरनेशनल मार्केट में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड (Brent crude) सोमवार को जनवरी के बाद से सबसे निचले स्तर पर गिर गया, कीमतें 3% से अधिक गिरकर 80.97 डॉलर पर आ पहुंची हैं। वहीं, अमेरिकी मार्केट में क्रूड ऑयल के रेट 74 डॉलर के आसपास है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट से इंडियन बास्केट यानी जिस दाम पर भारतीय कंपनियां तेल खरीदती हैं, उसकी लागत में मार्च के औसत 112.8 डॉलर से 82 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ गया है।
बीते आठ महीनों के आंकड़ों को देखें तो भारतीय रिफाइनरों के लिए कच्चे तेल के दाम 31 डॉलर (27% फीसदी) कम हो गए हैं। SMC की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल के दामों में 1 डॉलर की गिरावट आने के बाद खरीदारी करने वाली तेल कंपनियों की 45 पैसे प्रति लीटर की बचत होती है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दाम अभी के समय में 14 रुपये कम होने चाहिए।
22 मई को छोड़कर अब उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद कीमतों में कमी की गई थी, तब से कीमतें स्थिर हैं। अप्रैल के फ्रीज से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई थी। राष्ट्रीय राजधानी में इस समय पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये लीटर है और डीजल की कीमत 89.62 रुपये है। पिछले 6 महीने से पेट्रोल और डीजल के रेट स्थिर बने हुए हैं।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सरकार की प्रतिक्रिया
महीने की शुरुआत में तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को अब भी डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर का शुद्ध घाटा हो रहा है, जबकि पेट्रोल पर उनको मुनाफा हो रहा है। साल के शुरुआत से अब तक कच्चे तेल के दामों में गिरावट आने के बाद अब कंपनियां मुनाफे में आ गई हैं। सारे समीकरणों को देखें तो पेट्रोल-डीजल के रेट कम हो सकते हैं। अगर कीमत में कमी होती है, तो 22 मई के बाद यह पहली कटौती होगी जब सरकार ने ग्राहकों को उच्च वैश्विक कीमतों से बचाने और मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। हालांकि, तेल कंपनियों का तर्क है कि वे कच्चे तेल के बढ़ी कीमतों से हुए नुकसान की भरपाई कर रहे हैं।
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