भारत अपनी सीमाओं पर बनाएगा सड़कों का जाल, रक्षामंत्री ने दिए आदेश

हरिभूमि न्यूज। नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी विवाद के बीच भारत हर हाल में जल्द से जल्द पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर सामरिक सड़कों का जाल बिछाना चाहता है। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साउथ ब्लॉक में सामरिक सड़कों के निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा करने के लिए एक अहम बैठक की। इसमें उन्होंने बीआरओ को सरहदी इलाकों में बनाई जा रही कुल 61 सामरिक सड़कों का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि चीन की आपत्तियों के बावजूद भारत न केवल एलएसी से लेकर पाकिस्तान से लगी सीमा (एलओसी) पर तेजी से सामरिक सड़कों का निर्माण करने में लगा हुआ है। बल्कि उसने चीन को दो टूक अंदाज में यह भी बता दिया है कि वह किसी भी कीमत पर सीमाई इलाकों में सड़कों के अलावा अन्य जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का काम नहीं रोकेगा। क्योंकि वह अपनी सीमा के अंदर इस निर्माण कार्य को कर रहा है।
बीआरओ ने दिया आश्वासन
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एक घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक में बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने रक्षा मंत्री को यह आश्वासन दिया कि एलएसी और एलओसी पर जारी सड़कों के निर्माण कार्य को समय पर पूरा कर लिया जाएगा। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बीआरओ कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। उन्होंने रक्षा मंत्री को सीमाओं पर बनाई जा रही सड़कों का विस्तृत ब्यौरा भी दिया। बीआरओ प्रमुख ने बताया कि सड़कों के इस निर्माण कार्य पर रक्षा, गृह और सड़क परिवहन मंत्रालय एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस समीक्षा बैठक में रक्षा मंत्री के अलावा रक्षा सचिव डॉ़ अजय कुमार भी शामिल हुए।
भारत नहीं रोकेगा निर्माण कार्य
चीन के साथ मौजूदा एलएसी विवाद के दौरान सैन्य व कूटनीतिक स्तर की बातचीत में भी भारत ने चीन को यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर सरहदी इलाकों में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के काम को नहीं रोकेगा। चीन पहले ही एलएसी से लगे अपने इलाकों में सड़कों और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर चुका है। अब उसे भारत के निर्माण से परेशानी हो रही है। बीआरओ ने हाल ही में लेह में तीन पुलों का भी निर्माण किया है, जिससे सेना के भारी भरकम वाहन और फारवर्ड पोस्ट तक जरूरी रसद पहुंचाना आसान हो गया है।
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