रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, स्वदेशी से हटेगा एमएसएमई पर पड़ा कोरोना का नकारात्मक प्रभाव

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश का लघु एवं सूक्ष्म उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। लेकिन इसे उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में आत्मनिर्भर भारत अभियान का आगाज कर दिया है। जिससे रोजमर्रा के जीवन में बड़े पैमाने पर स्वदेशी चीजों के उत्पादन और इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। यह एक प्रकार से आत्मनिर्भरता की दिशा में लोकल को केंद्र में रखकर वोकल होने का वक्त है। उक्त बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एक कांफ्रेंस में कही। इस कांफ्रेंस का आयोजन रक्षा उत्पादन विभाग, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस इडस्ट्री (एसआईडीएम) और कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
कोविड में निभाई अहम भूमिका
उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने में मदद प्रदान करने के लिए भारतीय डिफेंस मैन्युफैक्चर्र से लेकर एमएसएमई ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खुद एसआईडीएम ने डीआरडीओ के कोरोना से बचाव के लिए बनाए गई पीपीई किट, मॉस्क और वेंटीलेटर के पार्ट्स से जुड़े कार्य को त्वरित रूप से गति प्रदान की है। इसी का नतीजा है कि दो महीने से भी कम समय में हमने न केवल अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा किया है।
बल्कि अब हम पड़ोसी देशों की भी मदद करने बारे में सोचने लगे हैं। एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिससे यह गति पकड़ती है। देश में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ती हैं। इसी की वजह से एमएसएमई क्षेत्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। अभी 8 हजार एमएसएमई हैं, जो रक्षा मंत्रालय के तमाम संगठनों के साथ बतौर भागीदार के तौर पर काम कर रही हैं और इनके कुल उत्पादन में 20 फीसदी से अधिक का योगदान कर रही हैं।
राहत के लिए उठाए कदम
रक्षा उद्योग और एमएसएमई पर कोविड-19 का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। लेकिन इनकी मदद के लिए केंद्र सरकार ने कई जरूरी उपायों का ऐलान किया है। इसमें बीते दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के मुफ्त लोन की घोषणा की है, जिससे 45 लाख यूनिटें पुन: स्थापित हो सकेंगी और रोजगार भी सुरक्षित रहेगा।
2 लाख एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपए के ऋण की भी व्यवस्था की गई है। जरूरतमंद एमएसएमई को मदर-डॉटर फंड के जरिए 50 हजार करोड़ रुपए की इक्विटी मदद प्रदान की जाएगी। इन यूनिटों की क्षमता और मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए 10 हजार करोड़ के फंड ऑफ फंड्स की शुरूआत की जाएगी।
विस्तार की बदली परिभाषा
एमएसएमई की परिभाषा को भी बदला गया है, जिसके बाद यह विस्तार कर सकती हैं। इससे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सैक्टर एमएसएमई में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। 200 करोड़ रूपए के सरकारी कांट्रेक्ट में ग्लोबल टेंडर को अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी। इससे एमएसएमई को अपने व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। कोविड की वजह से व्यापार में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए ई-मॉर्केट लिंक शुरू किए जाएंगे।
सरकार और पीएसयू को अगले 45 दिन में बकाया भुगतान करना होगा। अमेरिका का उदारहण देते हुए सिंह ने कहा कि उनका घरेलू उद्योग द्वितीय विश्व युद्ध के छोटे से दो वर्ष के दौरान ही विकसित हुआ था। सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत का अपना खुद का रक्षा उद्योग होना चाहिए। उन्होंने एमएसएमई से आवाहान किया कि उन्हें भारत को रक्षा तकनीक के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल करने के लिए कार्य करना चाहिए।
इस कांफ्रेंस में मंत्रालय में सचिव (रक्षा उत्पादन) राज कुमार, एसआईडीएम के अध्यक्ष जयंत डी पाटिल, पूर्व अध्यक्ष बाबा कल्याणी, सीआईआई के डीजी चंद्रजीत बनर्जी, ओएफबी और डीपीएसयू के प्रतिनिधि शामिल हुए।
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