आम आदमी की महंगाई ने तोड़ी कमर, मार्च में थोक महंगाई 14 फीसदी के पार पहुंची

देशभर में महंगाई (inflation) के मोर्चे पर आम आदमी (common man) को करारा झटका लगा है। थोक मुद्रास्फीति ( wholesale inflation) में मार्च के महीने में वृद्धि आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 में थोक महंगाई दर बढ़कर 14.55 फीसदी हो गई है। फरवरी में थोक महंगाई दर 13.11 फीसदी थी, जबकि जनवरी में 12.96 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक ( wholesale price index) पर आधारित मुद्रास्फीति दर (inflation rate) में वृद्धि के कारण आम जनजीवन प्रभावित होता है क्योंकि वस्तुओं की आपूर्ति महंगी हो जाती है। WPI का मतलब थोक मूल्य सूचकांक (wholesale price index) है। यह एक सूचकांक है जिस पर थोक वस्तुओं की कीमतों का पता चलता है।
खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि
मासिक आधार पर खाद्य पदार्थों (food items) की थोक महंगाई दर (wholesale inflation) मार्च माह में 8.47 प्रतिशत से बढ़कर 8.71 प्रतिशत हो गई है। ईंधन और बिजली की थोक मुद्रास्फीति दर 31.50 प्रतिशत से बढ़कर 34.52 प्रतिशत हो गई। जबकि प्राथमिक वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक 13.39 फीसदी उछलकर 15.54 फीसदी पर पहुंच गया।
आलू की थोक महंगाई दर में जबरदस्त हुआ इजाफा
आलू की थोक महंगाई दर में तेज उछाल दर्ज किया गया है। आलू की महंगाई दर 14.78 फीसदी से बढ़कर 24.62 फीसदी हो गई है। प्याज की थोक महंगाई -26.37 फीसदी से बढ़कर -9.33 फीसदी हो गई। अंडे, मांस की थोक महंगाई 8.14 फीसदी से बढ़कर 9.24 फीसदी हो गई।
चार महीने के उच्चतम स्तर पर सब्जियों का WPI घटा
मार्च में कच्चे तेल और कमोडिटीज के दाम बढ़ने से थोक महंगाई चार महीने के उच्चतम स्तर (highest level) पर पहुंच गई हैं। कमोडिटी इंडेक्स WPI में 2.69 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। सब्जियों का थोक मूल्य सूचकांक 26.93 प्रतिशत से घटकर 19.88 प्रतिशत हो गया हैं।
आपको बता दें कि मार्च महीने में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.95 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। यह 17 महीने का उच्चतम स्तर है। इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई दर 6.07 फीसदी थी। खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई बढ़ी है। यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा महंगाई दर आरबीआई की सीमा से ऊपर रही। रिजर्व बैंक (reserve bank) को खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी रखने का लक्ष्य मिला है और इसके लिए 2 फीसदी से ज्यादा और 2 फीसदी की सीमा दी गई है।
केंद्रीय बैंक के लिए मुद्रास्फीति दर (inflation rate) की सामान्य सीमा 2 से 6 प्रतिशत के बीच है। हालांकि, लगातार तीन महीनों तक खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर रही। महंगाई की दर को कम करने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। Ecowrap की रिपोर्ट के अनुसार RBI जून में होने वाली MPC मीटिंग में रेपो रेट में 25 बीपीएस और अगस्त में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है.
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