NIA कोर्ट का बड़ा फैसला, इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों को 10 साल की सजा

NIA कोर्ट का बड़ा फैसला, इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों को 10 साल की सजा
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Delhi : इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) के चार आतंकियों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) की कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है।

Delhi: दिल्ली की एक विशेष अदालत ने बुधवार को इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) के चार आतंकियों को 10 साल जेल की सजा सुनाई है। इन आतंकियों के नाम दानिश अंसारी, आफताब आलम, इमरान खान और ओबैद-उर-रहमान है। विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक (Shailendra Malik) ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं और आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के अंतर्गत यह सजा सुनाई है। बताया जा रहा है कि इन आतंकियों ने साल 2012 में देश में आतंकवादी हमलों (Terrorist Attacks) को अंजाम देकर सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की आपराधिक साजिश रची थी।

आरोपियों ने स्वीकारा था अपना जुर्म

कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि इस मामले में, उपरोक्त अपराधों के लिए चार दोषियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, और उन्होंने सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया और अपराधों में अपनी भूमिका स्वीकार की। इन सभी चार दोषियों दिनांक 07 जुलाई 2023 के एक फैसले में उपरोक्त अपराधों के लिए दोषी पाया गया था।

क्या बोले न्यायाधीश

विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक (Shailendra Malik) ने दानिश अंसारी के खिलाफ सजा का आदेश पारित करते हुए कहा कि दोषी दानिश अंसारी 21 जनवरी 2013 से न्यायिक हिरासत में है। किसी अन्य आपराधिक मामले में शामिल नहीं है और बताया जाता है कि वह उच्च माध्यमिक तक शिक्षित है। इसलिए उस पर धारा 18 यूए (पी) अधिनियम के तहत अपराध के लिए 10 साल की कठोर कारावास और 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माना का भुगतान न करने पर 06 महीने के लिए अतिरिक्त एसआई भुगतना होगा।

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि इस बात को ध्यान देते हुए कि इस दोषी का कोई अन्य अपराधिक इतिहास नहीं रहा है। यह अदालत न्याय के हित में दानिश को भविष्य में देश के एक अच्छे नागरिक के रूप में जिम्मेदारी से आचरण करने का अवसर दे रही है। यह देखते हुए कि 21 जनवरी 2013 से न्यायिक हिरासत में होने के कारण उन्हें दी गई सजा की अवधि समाप्त हो गई है। न्यायाधीश मलिक ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि किसी अन्य किसी मामले में दोषी न हो तो उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए।

आफताब आलम के बारे में न्यायालय ने कहा कि वह 5 फरवरी 2013 से न्यायिक हिरासत में था और उसे दी गई की सजा को उस अवधि से कम करने किया जाए जो वह पहले काट चुका था। और इमरान को जेल की सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि वह 28 फरवरी 2013 से न्यायिक हिरासत में था और उसने जेल में जो समय बिताया है उसे उन्हें दी गई सजा में जोड़ा जाए। वहीं न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि चौथा दोषी कबैद-उर-रहमान 18 मार्च 2013 से न्यायिक हिरासत में था।

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क्या थी आरोपी के वकील की दलील

दोषियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे गरीब परिवारों से हैं और अदालत से आग्रह है कि सजा पर आदेश पारित करते समय उनके द्वारा पहले ही सजा काट लिए गए समय और इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाए कि उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है।

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