PFI के पूर्व प्रमुख अबुबकर की जमानत अर्जी पर विचार करने से दिल्ली हाई कोर्ट का इनकार, पढ़िये वजह

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) के पूर्व प्रमुख और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (SDPI) के संस्थापक अध्यक्ष एरापुंगल अबुबकर की जमानत याचिका (Bail Applicaation) पर विचार करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट का कहना है कि यह जमानत अर्जी निचली अदालत में लगाई जानी चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) मामले में जमानत के मामले पर पहले निचली अदालत ही सुनवाई करेगी। इसके निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एनआइए (NIA) की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक ने भी प्रारंभिक आपत्ति जताई और कहा कि एनआइए अधिनियम और यूएपीए के तहत याचिकाकर्ताओं को पहले निचली अदालत जाना होगा। अगर उसके खिलाफ फैसला आता है तो वो इस निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर सकता है।
बता दें कि पीएफआई पर देशविरोधी गतिविधियों के चलते उसे पांच साल तक के लिए प्रतिबंधित किया गया है। यह प्रतिबंध पीएफआई के खिलाफ एनआईए की जांच में सामने आ रहे तथ्यों के आधार पर लगाय गया। एनआईए ने एनआईए के पूर्व चीफ एरापुंगल अबुबकर को 22 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ यूएपीए के प्रविधानों के तहत केस दर्ज किया गया। वह छह अक्टूबर से न्यायिक हिरासत में है।आबुबकर ने हाई कोर्ट में अर्जी लगाकर जमानत मांगी। उसने अर्जी में लिखा कि वह हाई-ब्लडप्रेशर, मधुमेह समेत कई बीमारियों से पीड़ित है। उसका वर्ष 2019 से विशेष कैंसर अस्पतालों में इलाज चल रहा है। उसने जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया था।
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