DIAL को बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट कार्गो का पहला बैच मिला, भारतीय अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को आज यानी शुक्रवार को स्पेन के लिए बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट कार्गो का पहला बैच प्राप्त हुआ है। एयर कार्गो के लिए भारत को ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में उभारने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। जीएमआर समूह की सहायक कंपनी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को 7 फरवरी को सरकार से मंजूरी मिली थी, जिससे यह निर्यात कार्गो के लिए बांग्लादेश और अन्य वैश्विक गंतव्यों के बीच कार्गो ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में काम कर सके।
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के अधिकारियों ने प्रेस बयान में बताया कि इसे सरकार की मंजूरी मिलने से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जबकि निर्माताओं के लिए शिपमेंट लागत में काफी कमी आई है और दिल्ली हवाई अड्डे के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कार्गो के दैनिक निर्यात में वृद्धि हुई है, जिसमें रेडीमेड गारमेंट्स, हथकरघा, जूते, चमड़े के उत्पाद, जूट उत्पाद और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश तैयार कपड़ों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा है। परिवहन के इस नए मार्ग से दक्षिण एशियाई देश के लिए नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है, क्योंकि बांग्लादेशी निर्माता धागे, कपड़ा, जूट, चमड़ा, और फार्मास्युटिकल कच्चे माल सहित कच्चे माल के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर हैं। ऐसे में निर्यात में किसी भी तरह की वृद्धि का सीधा परिणाम यह होगा कि भारत में उत्पादित कच्चे माल की मांग में भी वृद्धि होगी।
बांग्लादेशी आरएमजी उत्पादों की विशेष रूप से जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, स्पेन, इटली, नीदरलैंड, डेनमार्क, यूरेशिया के कुछ हिस्सों और संयुक्त राज्य अमेरिका में मांग है। अधिकांश यूरोपीय देशों के लिए दिल्ली हवाई अड्डे की सीधी कनेक्टिविटी के साथ, यह मार्ग भारतीय उपमहाद्वीप के देशों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद करने की भारत सरकार की पहल को और बढ़ावा देगा। ट्रांसशिपमेंट कार्गो बेनापोल-पेट्रापोल में बांग्लादेश-भारत सीमा के माध्यम से ढाका से दिल्ली तक पहुंचेगा।
इस मौके पर DIAL के सीईओ विदेह कुमार जयपुरिया ने कहा कि इस पहल के साथ दिल्ली हवाई अड्डा दुनिया का अंतरराष्ट्रीय कार्गो केंद्र बनने की राह पर है, जो पूर्व और पश्चिम के बीच एक ट्रांसशिपमेंट केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। विश्व स्तर पर अधिकांश विनिर्माण दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में होता है, जिनमें माल ढुलाई और कार्गो संचालन क्षमता की कमी होती है। वहीं, अब दिल्ली एयरपोर्ट देशों को एक साथ आने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही व्यवसायों और पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को समृद्ध होने में भी मदद कर सकता है।
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