महाराष्ट्र : देवेंद्र फड़णवीस ने दिया इस्तीफा, कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे

शिवसेना के आक्रामक तेवरों से चुनाव बाद गठबंधन सरकार बनाने के किसी भी प्रयास के परवान नहीं चढ़ने के बीच देवेंद्र फड़णवीस ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन सत्ता की साझेदारी के मुद्दे पर गतिरोध दूर नहीं हुआ और अब हालात यह हैं कि तीन दशक पुराने इस गठबंधन के अस्तित्व पर भी सवालिया निशान लगने लगा है।
दोनों दल भले ही अपने रुख पर अड़े हों लेकिन इस बात को सिरे से खारिज नहीं किया कि आगामी दिनों में मेल-मिलाप की गुंजाइश बची है। देर शाम भाजपा नेता सुधीर मुनगंतीवार ने कहा कि गठबंधन टूटा नहीं है, शिवसेना को जनादेश का सम्मान करना चाहिए। राज्य में अपना मुख्यमंत्री चाह रही शिवसेना ने फड़णवीस के उस दावे पर सवाल उठाए कि मुख्यमंत्री पद साझा किये जाने को लेकर कोई करार नहीं हुआ था।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने का, अपने पिता दिवंगत बाल ठाकरे से किया गया वादा पूरा करेंगे। फड़णवीस (49) ने राजभवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को इस्तीफा सौंपा जिन्होंने वैकल्पिक इंतजाम होने तक उनसे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है। राज्यपाल से मुलाकात के बाद फड़णवीस ने संवाददाताओं से कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था कुछ भी हो सकती है, वो नयी सरकार हो सकती है या राष्ट्रपति शासन लगना भी हो सकता है।
फड़णवीस ने कहा कि राज्यपाल ने मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। मैं पांच सालों तक सेवा करने का मौका देने के लिये महाराष्ट्र के लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं। फड़णवीस ने विधानसभा चुनावों के बाद सरकार गठन में गतिरोध को लेकर सहयोगी शिवसेना पर निशाना साधा। शिवसेना के दावों को खारिज करते हुए फड़णवीस ने कहा कि उनकी मौजूदगी में कोई फैसला नहीं लिया गया कि दोनों दल मुख्यमंत्री पद साझा करेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं एक बार फिर यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह कभी तय नहीं किया गया कि मुख्यमंत्री पद साझा किया जाएगा। इस मुद्दे पर कभी फैसला नहीं लिया गया। यहां तक की अमित शाह जी औरनितिन गडकरी जी ने कहा कि यह फैसला कभी नहीं लिया गया था। फड़णवीस ने कहा कि उन्होंने गतिरोध तोड़ने के लिये शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को फोन किया लेकिन उद्धव जी ने मेरा फोन नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि भाजपा से बात नहीं करने और विपक्षी कांग्रेस व राकांपा से बात करने की शिवसेना की "नीति" गलत थी। फड़णवीस ने कहा, "जिस दिन नतीजे आए, उद्धव जी ने कहा कि सरकार गठन के लिये सभी विकल्प खुले हैं। यह हमारे लिये झटके जैसा था क्योंकि लोगों ने हमारे गठबंधन के लिये जनादेश दिया था और ऐसी परिस्थितियों में हमारे लिये यह बड़ा सवाल था कि उन्होंने यह क्यों कहा कि उनके लिये सभी विकल्प खुले हैं।
फड़णवीस के संवाददाता सम्मेलन के थोड़ी देर बाद ही शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सहयोगी दल भाजपा को, उन्हें झूठा साबित करने के प्रयास के लिए आड़े हाथ लिया और दावा किया कि अमित शाह के साथ उनकी बातचीत के दौरान पार्टी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का पद साझा करने पर सहमत हुई थी। ठाकरे ने कहा कि वह अपने पिता एवं शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे से राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री होने के बारे में किया वादा पूरा करेंगे।
ठाकरे ने कहा कि उन्हें इसके लिए देवेंद्र फड़णवीस या शाह की जरूरत नहीं है। शिवसेना अध्यक्ष ने एक बार फिर कहा कि उन्हें इससे ठेस लगी है कि भाजपा ने उन्हें एक झूठे के तौर पर पेश करने का प्रयास किया। ठाकरे ने कहा कि उन्होंने 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा के साथ बातचीत नहीं की क्योंकि वह यह बर्दाश्त नहीं कर सकते थे कि उन्हें झूठा कहा जाए। शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने फड़णवीस के उस दावे से भी इनकार किया कि शिवसेना नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया।
ठाकरे ने कहा कि उन्होंने मोदी की आलोचना नहीं की लेकिन समय-समय पर नीतियों को लेकर राजग सरकार की आलोचना की। वहीं राकांपा प्रमुख शरद पवार ने इससे पहले दिन में सवाल उठाया कि राज्यपाल सबसे ज्यादा सीट वाले दल को सरकार बनाने के लिये बुला क्यों नहीं रहे हैं। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार को यहां पवार से मुलाकात की और महाराष्ट्र में सरकार गठन पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिये उनसे सलाह मांगी।
मुलाकात के बाद पवार ने पत्रकारों से अठावले के जरिये कहा कि भाजपा और शिवसेना को लोगों द्वारा दिये गए "स्पष्ट जनादेश" का सम्मान करना चाहिए। पवार ने कहा, "महाराष्ट्र जैसे राज्य में ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए। उन्होंने सलाह मांगी थी। हमारी आम राय थी कि लोगों ने भाजपा और शिवसेना को स्पष्ट बहुमत दिया है।" राज्य में विधानसभा चुनावों के 24 अक्टूबर को आए नतीजों के बाद एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी सरकार गठन को लेकर दोनों गठबंधन सहयोगियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में गतिरोध है।
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