यह है नया जम्मू कश्मीर, जानें नए नियम

जम्मू कश्मीर में धारा 370 और धारा 35 A पर लम्बे समय से चल रही सियासत पर आज राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35 A को खत्म करने के लिए संकल्प पत्र जारी किया, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 A को खत्म कर दिया गया, जिसके बाद अब जम्मू कश्मीर में धारा 370 का खंड A ही लागू रहेगा। जबकि लद्दाख भी अब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, अब कश्मीर एक विशेष राज्य ना रहकर भारत के अन्य राज्यों की तरह बन गया है। मोदी सकरार के इस ऐतिहासिक कदम पर देशभर में जश्न मनाया जा रहा है, वहीं विपक्ष में इस मामले को लेकर भारी रोष देखने को मिल रहा है, जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस फैसले का स्वागत किया है। आइये जाते हैं क्या है जम्मू कश्मीर के नए नियम...
पहले : धारा 356 लागू नहीं होती थी
अब : अब लागू होगी धारा 356
पहले : अलग ध्वज होता था
अब : अब तिरंगा रहेगा
पहले : जम्मू-कश्मीर पहले विशेष राज्य
अब : जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश
पहले : पहले अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता था
अब : अब उन्हें आरक्षण मिलेगा
पहले : पहले आरटीआई के नियम लागू नहीं होते थे
अब : अब जम्मू कश्मीर में आरटीआई के नियम लागू होंगे।
पहले : सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार पर केंद्र का नियंत्रण था
अब : अब जम्मू कश्मीर में पूर्ण रूप से भारतीय संविधान लागू होगा
पहले : तिरंगा जलाने पर राजद्रोह (124A) का केस नहीं लगता था
अब : तिरंगा जलाने पर राजद्रोह का केस लगेगा
पहले : लद्दाख जम्मू कश्मीर का हिस्सा था
अब : लद्दाख को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है
कश्मीर पर केंद्र और राज्यपाल की तरफ से बार-बार सफाई के बाद भी विपक्षी दलों की ओर से सियासी हायतौबा उचित नहीं है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक कई बार कह चुके हैं कि घाटी में जवानों की तैनाती सुरक्षा कारणों से है और यह रूटीन प्रोसेस है। कश्मीर में किसी भी तरह का कोई एक्शन नहीं होने जा रहा है, अगर कुछ भी होगा तो वह चुपके से नहीं होगा। देश में लोकतंत्र है और कोई भी कदम लोकतांत्रिक तरीके से ही उठाया जाएगा।
इसके बावजूद कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी कश्मीर को लेकर पैनिक क्रिएट करने की कोशिश कर रही हैं। विपक्ष के तौर पर इन दलों का यह रवैया गैर-जिम्मेदाराना लगता है। ये सभी विपक्षी दल जानते हैं कि घाटी में किसी भी तरह की अफवाह आग में घी का काम करती है। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर में घुसपैठ कराने की ताक में रहता है।
हाल में एलओसी पर पाक की ओर से भारतीय सरजमीं तक सुरंग ट्रेस हुई है और पाक फौज की बैट (बोर्डर एक्शन टीम) की घुसपैठ को हमारी सेना ने नाकाम किया है, जिसमें बैट के करीब सात लोग (कमांडो या आतंकी या दोनों) मारे गए हैं। इतना ही नहीं पाक हुक्मरान हमेशा कश्मीर को सुलगानेे में लगा रहता है, ऐसे में कश्मीर के विपक्षी दलों को स्यापा करना दुश्मन को मौका देने जैसा है।
कश्मीर में शांति कायम करने की दिशा में आतंकवादियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन ऑल आउट चल रहा है, पाकिस्तान को अलग-थलग करने का प्रयास जारी रही है व उस पर आतंक के खात्मे के लिए दबाव डाला जा रहा है, पाक को दो टूक कहा गया है कि जब तक वह आतंक पर एक्शन नहीं लेगा तब तक भारत वार्ता नहीं करेगा, अलगावादियों व टेरर फंडिंग पर कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है और वहां विधानसभा चुनाव कराने की संभावना को टटोला जा रहा है।
इतने कदम को देखते-समझते हुए भी विपक्षी दलों के नेता गुलाम नबी आजाद, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती लगातार ऐसा बयान दे रहे हैं, जिनसे भ्रम पैदा हो रहे हैं। कभी धारा 370, 35-ए को लेकर उमर बयान दे रहे हैं, कभी महबूबा मुफ्ती धमकी भरे लहजे में केंद्र को चेताती नजर आती हैं। कांग्रेस, पीडीपी, एनसी को कश्मीर की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्र सरकार पर भरोसा करना चाहिए व बयानबाजी में संयम बरतना चाहिए।
इन तीनों विपक्षी दलों को यह भी देखना चाहिए कि सत्ता में रहते उसने केंद्र के साथ मिलकर काम किया है व कश्मीर संवेदनशील मसला है। फिर संदेह क्यों? गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के अलावा गृहसचिव, आईबी, रॉ आदि के अधिकारियों के साथ बैठक की है। इससे साफ है कि मामला आंतरिक है, पाक के साथ किसी तरह के एक्शन की बात होती तो बैठक रक्षा मंत्री व तीनों सेना प्रमुख के साथ होती।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जब से अमेरिकी दौरे से आए हैं, कश्मीर को लेकर पाक फौज के तेवर बदले हुए प्रतीत हो रहे हैं। एसओसी पर पाक फौज की गतिविधियां बढ़ी हुई हैं। इसके मद्देनजर भारत को सुरक्षा को मजबूत करना आवश्यक है। कहीं पाक फौज भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने में सफल न हो जाए? कश्मीर से श्रद्धालुओं व बाहरी पर्यटकों को वापस जाने के लिए एडवाइजरी जारी करने को आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर देखा जाना चाहिए।
हाल में कई बार खुफिया अलर्ट जारी हुए कि अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले हो सकते हैं। सबको भरोसा होना चाहिए कि कश्मीर पर सरकार जो भी कदम उठाएगी, वह सबको भरोसे में लेकर उठाएगी और उसके मूल में कश्मीरियत, जम्हूरियत व इंसानियत होंगी। सभी विपक्षी नेताओं को चाहिए कि वे कश्मीर पर राजनीति नहीं करें।
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