चेतक हेलीकॉप्टर के डायमंड जुबली समारोह में राजनाथ सिंह बोले- देश में 'आयुध पूजा' की बड़ी पुरानी परंपरा रही है, पढ़ें पूरी स्पीच

चेतक हेलीकॉप्टर के डायमंड जुबली समारोह में राजनाथ सिंह बोले- देश में आयुध पूजा की बड़ी पुरानी परंपरा रही है, पढ़ें पूरी स्पीच
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देश में ‘आयुध पूजा' की बड़ी पुरानी परंपरा रही है। विजयदशमी को होने वाली इस पूजा में मैं भी शामिल होता रहा हूं। आयुध, यानी हथियारों की पूजा का अर्थ होता है कि जो हथियार हमारी सुरक्षा करते हैं, हम उनका सम्मान करते हैं। उन्हें हम देवता के समान मानते हैं।

चेतक हेलीकॉप्टर के डायमंड जुबली (diamond jubilee) समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शनिवार को कहा है कि हम संस्थानों की डायमंड जुबली मनाते हैं। संगठनों की डायमंड जुबली मनाते हैं। मैं अक्सर उनमें शरीक होता रहता हूं। पर हमारी वायुसेना एक हेलीकॉप्टर की डायमंड जुबली मना रही है। यह इस हेलीकॉप्टर के प्रति हमारे सम्मान की भावना का प्रतीक है। इस देश में 'आयुध पूजा' की बड़ी पुरानी परंपरा रही है। विजयदशमी को होने वाली इस पूजा में मैं भी शामिल होता रहा हूँ। आयुध, यानी हथियारों की पूजा का अर्थ होता है कि जो हथियार हमारी सुरक्षा करते हैं, हम उनका सम्मान करते हैं। उन्हें हम देवता के समान मानते हैं।

हमें ऐसी दो पीढ़ियां मिलेंगी, जिनका 'चेतक' से साक्षात्कार हुआ है। एक पीढ़ी 16th century की थी। उसने महाराणा प्रताप का 'चेतक' देखा था। एक पीढ़ी हमारी और आपकी है। हमने चेतक को देखा भी है, और आज उसकी diamond jubilee भी मना रहे हैं। किसी समय हम एक कविता पढ़ते थे- रण बीच चौकड़ी भर-भर कर, चेतक बन गया निराला था। राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था। आगे की कविता में कवि, चेतक को 'आसमान का घोड़ा' कहकर पुकारता है। महाराणा प्रताप के वफादार, और भरोसेमंद घोड़े की तरह ही, चेतक helicopters ने भी दशकों तक युद्ध और शांति में हमारे देश की सेवा की है। चेतक हमारी defence forces में सबसे लंबे समय तक अपनी सेवाएं देने वाले platforms में से एक है।

युद्ध के मैदान में इसने दुश्मनों को, अपनी accurate firing का निशाना बनाया है। यह अपने troops को battle-field में उतारने में सक्षम है। जरूरी रसद सामग्री पहुंचाने में भी इसने मदद की है। आपात स्थिति में इसने evacuation करके कीमती जानें भी बचाई हैं। हमारे देश को समय-समय पर अनेक natural calamities का सामना करना पड़ा है। उनमें भी मानवीय सहायता, और आपदा राहत कार्यों में हमारा चेतक हमेशा आगे रहा है। चेतक ने लोगों के दिलों को छुआ है। हमारा देश, इस मशीन, और इसे operate करने वाले professionals का हमेशा आभारी रहेगा। हमने हाल ही में 1971 के 'मुक्ति संग्राम' की 'Golden Jubilee' मनाई है। इतिहास के पन्नों में यह युद्ध सुनहरे अक्षरों में दर्ज रहेगा। अपने scale के कारण नहीं, बल्कि अपने character के कारण। इस युद्ध के पीछे जो मुख्य उद्देश्य था, वह था 'मानवता' और 'लोकतंत्र' की गरिमा की सुरक्षा।

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि मुझे यह कहते हुए गर्व होता है, कि इस संग्राम में डे वन से हमारी सेनाओं की सहायता में जो मशीनें और platforms सबसे आगे रहे, 'चेतक' उनमें से एक था। इस पर सवार हमारे air warriors ने, इस युद्ध में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। मुझे बताया गया, कि इसका इस्तेमाल 'मुक्ति बाहिनी' के pilots की training के लिए भी किया जाता था। वह नए बने देश बांग्लादेश की Air force के pioneers थे। युद्ध में चेतक helicopter units को चार 'वीर चक्र' के अवार्ड मिले हैं। हमारे देश में जितने अग्रणी design & development projects रहे हैं, चेतक उनमें से एक है। इसकी सफलता ने हमें यह confidence दिया, कि आगे भी हम ऐसे projects में सफल हो सकते हैं। हमारे देश में अब तक लगभग 700 चेतक helicopters का production किया जा चुका है।

चेतक' की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि अपने निर्माण के 60 साल बाद भी यह adaptation, modification, upgradation के माध्यम से, frontline platform बना हुआ है। चेतक हमें यह एक important lesson देता है, जिसे भविष्य के manufacturers, और operators द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्ष की घटनाओं को देखते हुए हमारी सरकार ने defence production, और preparedness में आत्मनिर्भरता पर बल दिया है। इन दिनों हमें supply lines को सुनिश्चित करने में कई चुनौतियां देखने को मिली हैं। बाहरी परिस्थितियों ने critical weapons, और equipment की serviceability पर प्रभाव डाला है। इसलिए आत्मनिर्भरता के हमारे प्रयासों में लगातार बढ़ोतरी आज की सबसे बड़ी जरूरत है। भारत जैसे विशाल देश की रक्षा का भार लंबे समय तक दूसरे देशों के कंधों पर नहीं रह सकता है। हमें अपनी रक्षा के लिए अपने खुद के कंधे मज़बूत करने ही होंगे। दुनिया में शांति बरकरार रखनी है, तो राष्ट्रों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है, और सुरक्षा के लिए उनका सैन्य रूप से मज़बूत होना अत्यंत आवश्यक है।

पिछले कुछ वर्षों में हमने ऐसा माहौल तैयार किया है, कि हमारी सेनाएं, scientists और defence manufacturers, pro-active तरीके से सोच सकें। हमें हमारी services, research and development organisations, और public और private sector industries से बड़े positive response मिल रहे हैं। हमारे MSMEs, start-ups, innovators और academia मिलकर, defence production की नई राहें तलाश रहे। आज भारत ने 5 टन category में helicopters के design, development और operation में अपनी ताकत दिखाई है। Indigenously designed और developed, Advanced Light Helicopter -DHRUV, और इसके variants इस category के helicopters में भारत की ताकत का उदाहरण हैं।

एक global leader बनने के लिए हमें अपने स्वयं के 10 Ton Indian Multirole Helicopter के design में progress करने की आवश्यकता है। इसमें एक ओर huge market potential है, और दूसरी ओर हमारी अपनी forces के लिए भी यह एक significant requirement है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में एक हज़ार से अधिक civilian helicopters, और इतनी ही संख्या में military sector में helicopters की demand है। यह helicopter market में एक बड़ी संभावना है, जिसे हमें exploit करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

साथियों, इस event के माध्यम से एक बात और मैं आप लोगों के बीच रखना चाहूँगा। जब भी कोई देश अपनी रक्षा के लिए युद्ध लड़ता है, तो उस युद्ध में केवल उस देश की सेनाएँ ही हिस्सा नहीं लेती हैं, बल्कि वह पूरा देश युद्ध लड़ रहा होता है। राष्ट्ररक्षा का जब महायज्ञ होता है, तो उसमें किसी एक की ही आहुति नहीं पड़ती है, बल्कि indirect रूप से पूरा देश अपनी आहुति देता है। आज का यह उत्सव, उन अनेक कर्मवीरों की मेहनत और समर्पण के सम्मान का उत्सव है, जिन्होंने किसी भी प्रकार से देश की सेवा में अपना योगदान दिया है। मैं इस मंच से उन सभी कर्मवीरों को नमन करता हूँ, और देशवासियों को आश्वस्त करता हूँ कि राष्ट्र की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसे सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

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