Earthquake: अब भूकंप से पहले फोन पर मिलेगी वार्निंग, IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने किया कमाल

Earthquake: भूकंप की वजह से कितना नुकसान हो सकता है इसका जीता-जागता उदाहरण हमें तुर्की और सीरिया में देखने को मिला। इन देशों में हाल ही में आए भूकंप में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी, लेकिन अब भूकंप से होने वाले विनाश से काफी हद बचा जा सकता है। इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम बनाया है। इस सिस्टम से भूकंप आने के 45 सेकेंड पहले ही लोगों को फोन पर वार्निंग दे दी जाएगी। ताकि लोग अपने घरों से निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें। इस एडवांस सिस्टम को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की के द्वारा विकसित किया गया है। यह सेस्मिक सेंसर तकनीक पर आधारित है।
बता दें कि अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसे देश के वैज्ञानिकों ने भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से बनाया है। यह सिस्टम पिछले चार महीनों में तीन बार सफल वार्निंग दे चुका है। यह लोगों को भूकंप के खतरे से निकालने में उपयोगी साबित हो सकता है। आईआईटी रुड़की ने इस सिस्टम में उत्तराखंड से नेपाल सीमा तक कुल 170 सेंसर लगाए हैं। साल 2022 से अब तक यह सिस्टम 3 बार भूकंप आने के करीब 45 सेकंड पहले सफल वार्निंग दे चुका है।
जानें कैसे काम करता है यह सिस्टम
आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि इस सिस्टम को उत्तराखंड की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। क्योंकि, यहां भूकंप आने की आशंका बहुत अधिक होती है और इससे जानमाल के नुकसान का खतरा भी रहता है। जिन-जिन जगहों पर सेंसर लगे हैं वहां का डाटा एक सेंट्रल सर्वर में रिकॉर्ड होता रहता है, यही तुरंत वार्निंग जारी करने में मदद करता है। सेस्मिक सेंसर से सेस्मिक डेटा को भी रिकॉर्ड किया जाता है, फिर अर्ली वार्निंग सिस्टम डेवलप होता है, इसके बाद डेटा सर्वर पर जाता है और एनालिसिस होने के बाद वार्निंग दी जाती है। फिलहाल इस सिस्टम को उत्तराखंड के लिए बनाया गया है।
बता दें कि इस सिस्टम ने पहली बार 8 नवंबर, 2022 को 5.8 मेग्नि्यूड का पहला केस डिटेक्ट किया था। इस भूकंप का केंद्र नेपाल में था। इसके बाद देहरादून में भी भूकंप से 45 सेकेंड पहले वार्निंग दी गई थी। फिर 24 जनवरी, 2023 को भारत-नेपाल सीमा पर आए भूकंप का एलर्ट भी देहरादून के लोगों को ऐप के जरिए 45 सेकेंड पहले दिया था। इस सिस्टम का जिक्र गृह मंत्री अमित शाह ने भी किया था।
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