नीले रंग ने उड़ाई नींद, समाज पर सिर चढ़कर बोल रही राजनीति और टेक्नोलॉजी

आज सारे समाज पर दो ही तत्व सिर चढ़कर बोल रहे हैं, एक राजनीति और दूसरी टेक्नोलॉजी। इन दिनों दुनिया के जाने माने धन्ना सेठों में एक एलन मस्क के ट्विटर कंपनी में प्रवेश करते ही उनके द्वारा किए गए नीले रंग के निशान में आए बदलाव ने लोगों की नींद उड़ा रखी है।
वैचारिक आदान-प्रदान के तमाम सामाजिक ई-मंचों में ट्विटर के प्रति विश्व भर में खासा आकर्षण इसलिए है, क्योंकि यह आमजन को हमजुबां लोगों के साथ-साथ खास व्यक्तियों से भी संवाद का एक आसान और सरल माध्यम उपलब्ध कराता है। आम और खास का यह अंतर उनके बीच रुतबे, उपलब्धियों, ताकत और खास पहचान की निशानी था।
ट्विटर आम और खास के बीच इस विभेद को कुछ मानकों के आधार पर ब्लू टिक की मुहर लगा कर करता रहा है। इसी ब्लू टिक को लेकर बीते कुछ दिनों से ट्विटर फिर से सुर्खियों में है। एलन मस्क ट्विटर की कमान अपने हाथों में लेते ही आए दिन कुछ न कुछ बदलाव कर रहे हैं, परंतु ब्लू टिक को पेड सर्विस बनाने संबंधी उनके फैसले ने सोशल मीडिया की दुनिया में हलचल पैदा कर दी है। मंगल ग्रह पर मानव बस्ती की स्थापना करके धरती से मनुष्य जाति के विलुप्त होने के खतरे को टालने के प्रयासों में लगे हुए एलन मस्क ने अपने निर्णय से इन दिनों पृथ्वी के खास लोगों के सामने गुमनामी का संकट पैदा कर दिया है।
आखिर इस बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी
राजनीतिक रूप से आधा डेमोक्रेट व आधा रिपब्लिकन, सामाजिक रूप से उदार तथा आर्थिक रूप से खुद को रूढ़िवादी मानने वाले पूंजीपति मस्क के सोचने का तरीका थोड़ा समाजवादी भी है और उनके विचारों से सहमति रखने वाले लोगों का कहना है कि इससे ट्विटर पर समानता को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी तरफ लगातार घाटे में चल रही इस कंपनी को मुनाफे में लाने के लिए एलन मस्क द्वारा एक कुशल उद्यमी की तरह हर संभव प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि घाटे से उबरने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को काम से निकाला भी गया है। विज्ञापन दाताओं को आकर्षित करने के लिए कस्टमाइज्ड ऑफर तैयार किए जा रहे हैं, हालांकि ट्विटर के इन कदमों से कई नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं बीते 48 घंटों के दौरान एलन मस्क की नेटवर्थ 30 बिलियन डॉलर कम हो गई है, जिसमें ब्लू टिक से जुड़े फैसले को ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है।
जो भी हो पर ट्विटर की बदहाली को सुधारने के लिए जो फैसले लिए गए उससे ट्विटर की लोकप्रियता में कमी आना अवश्यंभावी लगता है। ब्लू टिक अभी तक जिन भी लोगों को मिला हुआ था वह अपने क्षेत्र के माहिर लोग होते थे यानी कोई कलाकार, कोई राजनीतिज्ञ, कोई चर्चित खिलाड़ी या कोई बड़ा व्यवसायी। यह ब्लू टिक बड़े लोगों के बड़े होने की पहचान होने के साथ-साथ उनके बड़प्पन को प्रमाणित भी करता था और इस नाते फेक अकाउंट के प्रहार से रक्षा करने का एक साधन भी लेकिन ट्विटर में आए समाजवाद के बाद अब यह ब्लू टिक एक निश्चित राशि जमा करने पर किसी को भी मिल सकेगा अतः अब कोई भी व्यक्ति पैसे जमा करके ब्लू टिक हासिल कर सकता है। इस नए नियम के पालन होने के कुछ घंटे बाद ही ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लोगों ने बड़ी कंपनियों या किसी लोकप्रिय हस्ती के नाम से ट्विटर हैंडल बनाकर उस पर ब्लू टिक ले लिया और ट्वीट भी कर दिया जिसे जनता ने अधिकृत भी मान लिया। इस स्थिति में किसी लोकप्रिय व्यक्ति की छवि को गहरा आघात पहुंच सकता है।
ब्लू टिक बड़े लोगों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक हो चुका था परंतु नए नियम ने खास और बड़े लोगों की प्रतिष्ठा पर ही सवाल खड़ा कर दिया। पहले यह धारणा थी कि ब्लू टिक वाले अकाउंट प्रभावशाली लोगों के ही हैं अब इसे हटा दिए जाने के बाद लोगों की धारणा निश्चित तौर पर बदलेगी। दूसरी ओर विभिन्न संगठनों समेत उन लोगों के सामने बड़ी दिक्कत आने वाली है जो पेड सब्सक्रिप्शन वाला ब्लू टिक नहीं खरीदेंगे।
ट्विटर पर उनकी वैधता प्रभावित होने वाली है क्योंकि ब्लू टिक नहीं होने पर लोग उस खाते को असली नहीं मानेंगे। यह ट्विटर के लिए ही नकारात्मक साबित हो सकता है और खास होने के प्रमाण की चाह रखने वाले लोग अन्य विकल्पों की तलाश शुरू कर सकते हैं। प्रगतिवादी सोच जैसे दिखाई देने वाले इस कदम के बाद ट्विटर के वेरीफिकेशन प्रोसेस पर से लोगों का भरोसा स्वाभाविक रूप से कम होगा। ब्लू टिक किसी व्यक्ति विशेष या संगठन की पहचान की सत्यता की कसौटी बन चुका था यानी जिस भी ट्विटर हैंडल के आगे ब्लू टिक है वह सौ टंच असली, प्रामाणिक, बहुत खास या प्रतिभावान व्यक्ति हैं यानी ब्लू टिक प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति या संगठन को यह साबित करना पड़ता था कि वे वास्तव में अपने फील्ड में सिद्धस्त व प्रभावशाली हैं अब चूंकि ब्लू टिक के लिए एकमात्र अहर्ता पैसों का भुगतान है ऐसे में वेरीफिकेशन प्रोसेस की प्रक्रिया के कोई मायने नहीं रह जाते। यकीनन अब लोगों के लिए असली और फर्जी अकाउंट में अंतर करना मुश्किल होने वाला है इस वजह से यूजर्स यानी उपभोक्ताओं का मेला भी कम सकता है।
खास लोगों से ब्लू टिक हटाकर लाए गए बदलाव का असर खुद ट्विटर को भी झेलना पड़ सकता है। क्योंकि नए नियम सीधे-सीधे उपभोक्ताओं के भरोसे को प्रभावित करने वाले हैं अभी तक ट्विटर पर यूजर्स का जुड़ाव बढ़ाने में ब्लू टिक का अहम योगदान था। ब्लू टिक वाले अकाउंट से होने वाले ट्वीट पर यूजर ज्यादा सक्रिय रहते थे अब वेरीफाई अकाउंट से ब्लू टिक हटने और पेड सब्सक्रिप्शन के आधार पर ब्लू टिक दिए जाने से यूजर्स का रुझान कम होने का खतरा है अगर ऐसा होता है तो ट्विटर की आर्थिक स्थिति सुधरने के बजाय और बिगड़ सकती है और ट्विटर को नए मुकाम पर पहुंचाने की एलन मस्क की यह कवायद उल्टे बाँस बरेली वाली साबित हो सकती है।
ट्विटर हो या अन्य कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया विज्ञापन ही हैं। उपभोक्ताओं की संख्या और समय, प्रभावशाली व्यक्तियों की ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति जैसे बिंदु विज्ञापन मिलने का बहुत बड़ा आधार बनते हैं। लेकिन अब ट्विटर में यूजर्स के कम होने का खतरा तो है ही साथ ही फेक अकाउंट्स बढ़ने की समस्या भी कम नहीं है। ब्लू टिक हटने से प्रभावशाली लोगों व संगठनों की पहचान स्थापित करने का पैमाना तो जाता ही रहा, ऐसी स्थिति में विज्ञापनदाता भी ट्विटर से दूरी बना सकते हैं।
सभ्यता के प्रारंभ से ही मानव ने सजीवों के वर्गीकरण के अनेक प्रयास किए हैं क्योंकि मानव या जीव जगत कौतूहल और विविधताओं से परिपूर्ण है। समाज में उनका अलग-अलग महत्व और उपयोगिता है इनकी खूबी को जानने पहचानने और यथा योग्य उन्हें देश व समाज के हित में उपयोग लाने के लिए वर्गीकरण आवश्यक है।
एलन मस्क इस तरह का कदम उठाकर भले ही अपने समाजवादी रवैये, अगर आधार आर्थिक नहीं है, को प्रदर्शित करना चाहते हैं तो उन्हें यह समझना चाहिए कि व्यवहार जगत में किसी वस्तु या व्यक्ति के अलग-अलग स्वभाव और उनकी विशेषताओं को रेखांकित करने के लिए उनका वर्गीकरण करना ही होगा । ब्लू टिक को पेड सब्सक्रिप्शन बनाकर सभी को एक पंक्ति में एक साथ खड़ा करने की सोच कहीं उसी अतिवादी सोच का परिणाम तो नहीं जिसके आधार पर मस्क धरती की समस्याओं का समाधान मंगल ग्रह में खोज रहे हैं।
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