Exit Poll 2019 : एग्जिट पोल क्या होते हैं? यहां जानें इससे जुड़ी पांच खास बातें

Exit Poll 2019 एग्जिट पोल 2019: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के सातवें और आखिरी चरण का मतदान समाप्त होने के आधे घंटे के बाद एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने शुरू हो जाएंगे।
मतदान के सामप्त होने के साथ ही देश की जनता की नजरे एग्जिट पोल टिकी हैं। हालांकि एग्जिट पोल के नतीजे पूर्ण रुप से स्पष्ट तो नहीं होते लेकिन नतीजों से पहले उनकी झांकी दिखाने का काम जरूर कर जाते हैं।
लगभग यह मालूम हो जाता है कि ताज किसके सिर पर सजेगा। हम आपको बताएंगे कि एग्जिट पोल्स क्या होता है और इसकी शुरुआत कब हुई, इससे जुड़े नियम क्या हैं इन सब सवालों के जवाब आज आप यहां जानिए।
एग्जिट पोल क्या होते हैं? यहां जानें इससे जुड़ी पांच खास बातें..
* एग्जिट पोल्स क्या होते हैं?
चुनाव के समाप्त होने के बाद बड़े चैनल्स विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर एग्जिट पोल्स दिखाती हैं। एग्जिट पोल में नतीजे किस पार्टी के पक्ष में होंगे और कितनी सीटें मिल सकती हैं। एग्जिट पोल के जरिए अंदाजा लगाया जाता है कि नतीजे क्या होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में सबसे पहले एग्जिट पोल 1960 में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डिवेलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने जारी किए थे।
* एग्जिट पोल करने का तरीका
एग्जिट पोल के लिए विभिन्न एजेंसीज वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता से उनकी राय जानती हैं, इसकी के आधार पर एग्जिट पोल के नतीजे तैयार किए जाते हैं। वैसे तो यह मालूम करना बड़ा मुश्किल होता है कि मतदाता ने किसी पार्टी को वोट किया है, क्योंकि भारत में चुनाव विकास से लेकर जाति-धर्म जैसे तमाम मुद्दों चुनाव लड़ा जाता है। इस वजह से कभी- कभी एग्जिट पोल्स चुनावी नतीजों से विपरीत भी आ जाते हैं।
* एग्जिट पोल्स और ओपिनियन पोल्स क्या है?
एग्जिट पोल्स और ओपिनियन पोल्स में फर्क है कि ओपिनियन पोल चुनाव से पहले और एग्जिट पोल चुनाव के बाद आते हैं। ओपिनियन पोल वोटर्स से चुनाव से पहले राय ली जाती है, इसी के आधार पर सर्वे तैयार किया जाता है। वहीं एग्जिट पोल से जुड़े सवाल चुनाव वाले दिन ही सिर्फ वोट डालकर आए वोटर्स से पूछे जाते हैं।
* नियम और सजा?
Representation of the People Act, रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1951 के सेक्शन 126A के तहत चुनाव के शुरू होने से पहले और आखिर चरण की वोटिंग के खत्म होने के लगभग 30 के बाद एजेंसीज और चैनलस एग्जिट पोल्स दिखा सकते हैं। सेक्शन 126A में साफ कहा गया है कि कोई भी चैनल, एजेंसी, वेबसाइट और अखबार एग्जिट पोल को मीडिया के किसी रूप नहीं दिखा एवं छाप सकता है। अगर कोई इस नियम को तोड़ता है तो उसे दो साल की सजा, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।
* एजेंसियां रहती हैं पार्टियों के निशाने पर
आलोचक और राजनीतिक पार्टियां अकसर एग्जिट पोल्स करवाने वाली एजेंसियों को अपनी पसंद, तरीके आदि के हिसाब से पक्षपात वाला बताती हैं। उनके पक्ष में न आने पर पार्टियां यह तक कहती हैं कि विरोधी दलों ने एग्जिट पोल्स एजेंसियों को इसके लिए पैसे देकर मतदाता की असल भावना को छिपाया है।
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