किसानों और मोदी सरकार के बीच बेनतीजा रही बैठक, अगली तारीख तक जारी रहेगा आंदोलन, अलर्ट जारी

किसानों और मोदी सरकार के बीच बेनतीजा रही बैठक, अगली तारीख तक जारी रहेगा आंदोलन, अलर्ट जारी
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मोदी सरकार ने नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन के सामने चर्चा के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है। जिसको किसानों ने मानने से मना कर दिया है।

कृषि कानूनों के खिलाफ छह दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को केंद्र की मोदी सरकार ने आज बातचीत के लिए विज्ञान भवन बुलाया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साढ़े तीन घंटे चली बातचीत में नहीं निकला कोई नतीजा। अब 3 दिसंबर को फिर से किसानों से बातचीत की जाएगी। आगली तारीख पर सरकार और किसानों के बीच मंथन से कोई हल निकलने की उम्मीद है।

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* सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, किसानों और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा रही है। किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। वहीं बॉर्डर पर अलर्ट किया गया है।

* विज्ञान भवन में चर्चा के दौरान किसानों ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। वहीं सरकार ने चर्चा के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है।

* किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें बिना शर्त बातचीत के लिए आमंत्रण भेजा था।

* दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ किसान नेताओं की बैठक चल रही है। इस मीटिंग में 35 किसान नेता पहुंंचे हैं

* कृषि मंत्री से बातचीत के लिए विज्ञान भवन पहुंचे किसान नेता।

* शाहीन बाग एक्टिविस्ट बिलकिस बानो का कहना है कि हम किसानों की बेटियां हैं। हम किसानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन के लिए जाएंगे। हम अपनी आवाज उठाएंगे और सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।

* किसानों के प्रदर्शन के बीच हरियाणा में मनोहर खट्टर सरकार को आज बड़ा झटका लग लगा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने प्रदेश सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।

* बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे थे। लेकिन सरकार ने हमारे ऊपर तीन काले क़ानून थोप दिए।

* भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच पहुंचे।

* पंजाब के मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा है कि केंद्र सरकार को चाहिए कि खुले दिल से उनकी (किसानों) मांगों पर विचार करें और उन्हें मानें।

* केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर बैठक के बाद जेपी नड्डा के आवास से निकल गए हैं। इस बैठक में कंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। राजनाथ सिंह सरकार की तरफ से किसानों के साथ बैठक की अगुआई कर सकते हैं।

* कृषि कानून नहीं लिया जाएगा वापस, किसानों से सरकार की इन मुद्दों पर बात हो सकती है।

* भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि किसान संगठन आज सरकार से बातचीत करने के लिए दोपहर 3 बजे विज्ञान भवन जाएंगे। वहां पर चर्चा के दौरान किसानों के हक में जो भी फैसला होगा, उसे हम सब मानेंगे।

* किसान संगठनों से बातचीत करने से पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर एक अहम बैठक हो रही है। इस बैटक में किसानों के साथ बातचीत की रणनीति पर बात होगी। इस बैठक में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जेपी नड्डा के घर पहुंच गए हैं।

* कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर(दिल्ली-हरियाणा) पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

* दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेडिंग को हटाने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया।

* किसानों संगठनों ने दी चेतावनी दी है कि यदि 3 बजे फैसला नहीं हुआ तो बैरिकेड तोड़कर जंतर मंतर जाएंगे।

* कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार ने आज दोपहर तीन बजे किसानों को बातचीत के लिए विज्ञान भवन बुलाया है।

बता दें कि किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं। अपने हक में फैसला लेने के बाद ही लौटेंगे। बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोरोना वायरस और सर्दी का हवाला देते हुए 3 दिसंबर की जगह मंगलवार (आज) को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर बीते 6 दिनों से धरने पर हैं। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।

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