Farmers Protest: 2 फरवरी को हो सकती है किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत

Farmers Protest: राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में बीते 67 दिनों से चले आ रहे किसानों आंदोलन में आई तेजी को देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। माना जा रहा है कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत दो फरवरी को हो सकती है। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बारे में अभी कोई पुष्टि नहीं की है। वहीं, किसान नेताओं ने कहा है कि सम्मानजनक हल निकलना चाहिए, मगर हम दबाव में किसी चीज पर राजी नहीं होंगे।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रमुख नरेश टिकैत ने रविवार को इस बारे में संकेत देते हुए कहा, किसान प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। नरेश टिकैत ने कहा, एक शांतिपूर्ण हल की ओर पहुंचा जाना चाहिए। हम दबाव में कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुके। बीच का कोई रास्ता खोजा जाना चाहिए। वार्ता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 26 जनवरी को हुई हिंसा साजिश का हिस्सा थी। तिरंगा हर किसी से ऊपर है। हम किसी को इसका अपमान नहीं करने देंगे। इसे सहन नहीं किया जाएगा।
उधर गाजीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने कहा, सरकार नए कृषि कानूनों पर कोई निर्णय नहीं ले रही है। उसे इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। यह सरकार और किसानों दोनों के लिए अच्छा होगा।एक अन्य किसान रामबीर सिंह ने कहा, हम सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे। आंदोलन जारी रखेंगे।
फिलहाल नरेश टिकैत का बयान उस वक्त आया है, जब एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है और 22 जनवरी को दिए गए प्रस्ताव पर अब भी कायम है। इस प्रस्ताव में कानूनों को डेढ़ साल तक लंबित किए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर साझा समिति बनाए जाने की बात थी।
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