जोशीमठ जैसे उत्तराखंड के कई शहरों में दरारों का डर, ऋषिकेश-नैनीताल समेत इन दो महानगरों में भी धंसने लगी जमीन

उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में ही सिर्फ जमीन नहीं दरक रही, सिर्फ वहां ही दीवारों पर दरार नहीं आ रही हैं। बल्कि जोशीमठ जैसे उत्तराखंड के कई शहर है जहां दीवारों में दरारें आ रही हैं। ऋषिकेश (Rishikesh), नैनीताल (Nainital), मसूरी, टिहरी गढ़वाल, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा में भी घरों की दीवारों में दरारें देखी गई हैं। इसका मतलब कि सिर्फ जोशीमठ ही नहीं डरा हुआ। बल्कि उत्तराखंड के एक बड़े हिस्से में दरारें और डरा रही हैं।
उत्तराखंड के इन शहरों के कुछ हिस्से धंसने भी शुरू हो गए हैं। उत्तराखंड के अलावा देश के दो और महानगरों में यह खतरा है। दुनिया के 36 और शहरों में भी धंसने की प्रक्रिया हो रही है। इसमें भारत के तटीय शहर मुंबई और कोलकाता भी हैं।
दरअसल, जमीन धंसने को लेकर दो प्रक्रियाएं होती हैं। एक जोशीमठ की तरह पहाड़ों की मिट्टी अंदर से खोखली हो जाए। तो वह नीचे की ओर धंसना शुरू हो गया है। दूसरा किसी भी शहर या तटीय इलाके से इतना पानी बोरिंग से निकाला जाए कि जमीन अंदर से खोखली हो जाए। तब वह धंस सकती है।
वहीं उत्तराखंड के कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर और आईटीआई कॉलोनी में दो दर्जन से ज्यादा घरों में जोशीमठ जैसे दरारें आई हैं। इसके साथ ही ऋषिकेश के अटाली गांव के करीब 85 घरों में दरारें आई हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग में घरों की दीवारों में आ रही दरारों के लिए स्थानीय लोग रेल लाइन को इसका दोषी मानते हैं। टिहरी गढ़वाल में कई मकानों में दरारें देखने को मिल रही है। ये घर टनल परियोजना के पास हैं, जिससे उनके घरों में दरारें आई हैं।
मसूरी के लंढौर बाजार में सड़क का एक हिस्सा धीरे-धीरे धंस रहा है। जो लगातार बढ़ रही है इसके चलते करीब एक दर्जन दुकानों की दीवारों में दरारें आ रही है। ये लोग रिस्क जोन में रह रहे हैं। इसी तरह किसी न किसी कारण से नैनीताल, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा में भी घरों की दीवारों में दरारें देखने को मिल रही है।
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