75 साल की उम्र में दिग्गज नेता शरद यादव का निधन, जानें उनके राजनीतिक सफर के दिलचस्प किस्से

जदयू के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) का गुरुवार रात को निधन हो गया है। 75 साल के शरद यादव ने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस (Sharad Yadav Passed Away) ली। शरद यादव की बेटी शुभाशिनी यादव ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। शुभाशिनी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'पापा नहीं रहे।'
शरद यादव के सहयोगियों ने बताया कि वह गुरुवार रात अपने छतरपुर स्थित आवास पर बेहोश हो गए और उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल (Fortis Hospital) ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। यादव लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और नियमित रूप से 'डायलिसिस' कराते थे।
सहयोगियों ने बताया आज पूरे दिन उनके पार्थिव शरीर को छतरपुर स्थित 5 पश्चिमी (डीएलएफ) आवास पर दर्शन के लिए रखा जाएगा। वे जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष के साथ केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। उनका नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। उनके करीबियों के मुताबिक शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वो बोलते थे तो पूरा देश सुनता था। चाहे वे मंत्री हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी ऐसा कोई सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सुझा हो। उनका जवाब सुनकर प्रश्न करने वाले चुप रह जाते थे।
इस महान नेता ने अपनी कई दशकों की राजनीति में बहुत कुछ देखा है। शरद यादव के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 1947 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के एक गांव में हुआ था। शरद यादव की पढ़ाई के समय से ही राजनीति में रुचि थी और 1971 में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित एक सक्रिय युवा नेता के रूप में शरद यादव (Sharad Yadav) ने कई आंदोलनों में भाग लिया और 1969-70, 1972 और 1975 में उन्हें MISA के तहत हिरासत में लिया गया। शरद यादव ने वर्ष 1974 में सक्रिय राजनीति में पहला कदम रखा। वे पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। जो जेपी आंदोलन का समय था और वह जेपी द्वारा हल्दर किसान के रूप में चुने गए पहले उम्मीदवार थे।
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