भाजपा की प्रचंड जीत से हिला विपक्षी खेमा

भाजपा की प्रचंड जीत से हिला विपक्षी खेमा
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जहां एक ओर इस्तीफे पर अड़े हैं वहीं मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर के बाद राज्य के नेतृत्व पर सवाल खड़े होना शुरू हो गया है। कर्नाटक में कुमारास्वामी की सरकार का भाजपा से डर जगजाहिर है। बंगाल में टीएमसी के विधायक जिस गति से भाजपा में शामिल हो रहे हैं उससे ममता बनर्जी की चिन्ता बढ़नी स्वाभाविक है।

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में भाजपा की प्रचंड जीत ने विपक्षी पार्टियों के खेमे में खलबली मचा दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जहां एक ओर इस्तीफे पर अड़े हैं वहीं मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर के बाद राज्य के नेतृत्व पर सवाल खड़े होना शुरू हो गया है। कर्नाटक में कुमारास्वामी की सरकार का भाजपा से डर जगजाहिर है। बंगाल में टीएमसी के विधायक जिस गति से भाजपा में शामिल हो रहे हैं उससे ममता बनर्जी की चिन्ता बढ़नी स्वाभाविक है।

राजस्थान की सियासत

राजस्थान में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया तो उम्मीद जगी कि इसबार लोकसभा में भी पार्टी धमाकेदार प्रदर्शन करेगी पर परिणाम आने के बाद कांग्रेस औंधे मुंह गिरी और प्रदेश में पार्टी का सूफड़ा साफ हो गया। बड़ी हार के बाद पार्टी के अन्दर सीएम अशोक गहलोत को लेकर विरोध के सुर तेज होने लगे। सचिन पायलट (Sachin Pilot) को सीएम बनाने की मांग ने एकबार फिर जोर पकड़ ली।

राजस्थान कांग्रेस कमेटी के सचिव सुशील आलोपा ने फेसबुक पर बकायदा पोस्ट लिखकर सचिन पायलट का समर्थन किया उन्होंने पोस्ट में लिखा 'कांग्रेस अगर सचिन पायलट को 5 साल की मेहनत के प्रतिफल में मुख्यमंत्री बनाती तो आज राजस्थान में लोकसभा चुनाव के परिणाम कुछ और होते। लोग कहते हैं कि पायलट की 5 साल तक की अथक मेहनत के कारण ही वह माहौल बना जिससे कांग्रेस के विधायक जीते क्योंकि युवाओं को लगता था कि इस बार पायलट को मौका मिलेगा।'

कांग्रेस के अन्दर मची अन्तर्कलह पर भाजपा के नेता भी लगातार नजर बनाए हुए हैं। भाजपा नेता भवानी सिंह ने कहा कि कांग्रेस की जो स्थिति है उसमें भाजपा को कुछ अलग करने की जरूरत ही नहीं है उनके नेता खुद इस्तीफा देकर पार्टी को अल्पमत में ला देंगे और सरकार गिर जाएगी। भाजपा उपाध्यक्ष ज्ञानदेव अहूजा ने कहा कि पता चला है बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं।

राजस्थान में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर राहुल गांधी ने सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) को जिम्मेदार बताया। साथ ही गहलोत से मिलने से भी इंकार कर दिया। प्रदेश में हो रही लगातार बैठकों हार पर जवाबदेही तय करने की बात कही जा रही है साथ ही ये भी चर्चा है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। क्योकिं आने वाले समय में सूबे में निकाय और पंचायत के चुनाव होने हैं जिसमें पार्टी पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव रहेगा।

मध्य प्रदेश की सरकार संकट में

मध्य प्रदेश में पार्टी को उम्मीद थी की इस बार 2014 की तरह 29 में सिर्फ 2 सीटें नहीं आएगी बल्कि 15 से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस विजय पताका फहराएगी पर नतीजों ने कांग्रेस आलाकमान को सिर पीटने पर मजबूर कर दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपना किला नहीं बचा पाए। हार के कारणों पर प्रदेश में छोटे से बड़े स्तर पर बैठक हो रही हैं। प्रदेश के सीएम कमलनाथ (Kamalnath) पार्टी नेताओं की नजर में सबसे बड़े खलनायक नजर आ रहे हैं।

हालही में एक ऑडियो वायरल हुआ है जिसमें कमलनाथ हवाला के जरिए पैसों के कथित लेन-देन और सरकारी अफसरों को धमकाने की बात सामने आई है। ऑडियों में सीएम कमलनाथ अपने ओएसडी कक्कड़ से कथित तौर पर कटनी के खनन और परिवहन विभाग के अफसरों पर चुनाव के संबंध में दबाव बनाने के लिए कह रहे हैं। इस ऑडियो के वायरल होने के बाद कमलनाथ ही नहीं बल्कि पूरी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव के दौरान पार्टी को बहुमत से 2 कम 114 सीटें मिली थी। बीएसपी के दो, सपा के एक व 4 निर्दलीय विधायको के समर्थन देने के बाद पार्टी ने बहुमत साबित किया था। भाजपा के पास 109 विधायक है। भाजपा को सत्ता में आने के लिए 7 सीटे चाहिए। जोड़-तोड़ की राजनीति का खेल इस राज्य में होना तय है। कमलनाथ पर लगातार लग रहे आरोप से उनकी ही पार्टी में विरोध के सुर तेज हो रहे हैं।

कुमारास्वामी के लिए मुसीबत बने नाराज विधायक

जोड़-तोड़ से बनी कर्नाटक में बनी कुमारास्वामी की सरकार पर तलवार लटक रही है। कांग्रेस के नाराज विधायको को मंत्री बनाने का जो प्लान प्रदेश की सरकार ने बनाया था वो फिलहाल जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा। कुमारस्वामी कांग्रेस के विधायको को भरोसे में लेने के लिए लगातार उनसे मुलाकात कर रहे हैं। कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं के बीच की खाई को पाटने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और राज्य के प्रभारी केसी वेणुगोपाल को वहां भेजा गया है।

कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने पिछले दिनों कहा कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और उनके सहयोगी दलों के बीच हो रहे मतभेद से जनता का भला नहीं हो रहा है। इसलिए इनको चाहिए कि विधानसभा भंग कर दें और फिर से चुनाव कराएं, साथ ही येदियुरप्पा ने कहा कि लोकसभा में हमारी पार्टी ने 28 में 25 सीटे जीती, 224 विधानसभा में 177 पर हम पहले पोजिशन पर हैं। इसका साफ मतलब है कि राज्य के लोग भाजपा को पसंद करते हैं।

ममता के विधायक नहीं हैं उनके बस में

लोकसभा चुनाव में जिस राज्य की सबसे ज्यादा चर्चा हुई वो पश्चिम बंगाल रहा। ममता के गढ़ में भाजपा ने इसबार जमकर प्रचार किया। और नतीजे भी उन्हीं के पक्ष में आए। पिछले लोकसभा चुनाव में मिली दो सीटों को उन्होंने 18 में बदल दिया। चुनाव के बाद टीएमसी में खलबली मच गई। पीएम मोदी ने बंगाल की एक रैली में कहा था ममता दीदी के 40 विधायक हमारे संपर्क में हैं। उनकी इस बात का असर अब दिख रहा है।

टीएमसी के दो विधायक और करीब 50 पार्षद भाजपा में शामिल हो गए। 2017 में बीजेपी में शामिल हुए टीएमसी के पूर्व दिग्गज नेता मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय समेत तीन विधायक पार्टी में शामिल हुए हैं। दिल्ली में इन नेताओं को भाजपा की सदस्यता दिलवाई गई। पार्टी के विधायको का लगातार भाजपा में शामिल होना न सिर्फ टीएमसी को कमजोर कर रहा बल्कि सूबे में भाजपा के जनाधार को भी मजबूत विपक्ष के तौर पर खड़ा कर रहा है।

राज्य में 2021 में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा का बढ़ता जनाधार टीएमसी के लिए एक बड़ा खतरा है। इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 40.3 है जो कि टीएमसी के 43.3 से सिर्फ 3 फीसदी कम है। 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी के वोटों में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है। वोट प्रतिशत में हुई बढ़ोत्तरी भाजपा के लिए शुभ संकेत है।

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