Gandhi Jayanti : अंधेरी रात में हुआ था बापू का ऑपरेशन, तीन नर्सो ने पकड़ा था लालटेन

अमेरिकी पत्रकार लुइस फिशर ने अपनी किताब 'महात्मा गांधी - हिज लाइफ एंड टाइम' में इस ऑपरेशन का जिक्र किया है। ... गांधीजी को 18 मार्च 1922 को छह साल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें दो दिन बाद गुजरात की साबरमती जेल से विशेष ट्रेन से पुणे की येरवडा जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। अपेंडिसाइटिस की गंभीर समस्या के कारण 12 जनवरी 1924 में उन्हें वहीं के ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ब्रितानी सर्जन कर्नल मैडॉक ने गांधी को बताया कि उनका तत्काल ऑपरेशन करना पड़ेगा।
कांपते हाथ को लेकर मजाक
अस्पताल के अधिकारी और गांधी यह भली भांति जानते थे कि यदि ऑपरेशन में कुछ गड़बड़ी हुई तो भारत जल उठेगा। गांधी ने इस पर हस्ताक्षर के लिए जब कलम उठाई, तो उन्होंने कर्नल मैडॉक से मजाकिया अंदाज में कहा, 'देखो, मेरे हाथ कैसे कांप रहे हैं... आपको यह सही से करना होगा।' इसके जवाब में मैडॉक ने कहा कि वह पूरी ताकत लगा लेंगे। ऑपरेशन के बीच में ही बिजली गुल हो गई और ऑपरेशन थिएटर में तीन नर्सों में से एक ने लालटेन पकड़ी जिसकी रोशनी में सर्जरी की गई। गांधी ने सफल ऑपरेशन के लिए मैडॉक को धन्यवाद दिया। सरकार ने पांच फरवरी 1924 को गांधी की शेष सजा माफ कर दी थी।
स्मारक बना ऑपरेशन थियेटर
'ससून सर्वोचार रुग्णालय' एवं बी जे मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ अजय चंदनवाले ने बताया कि सरकारी अस्पताल के 400 वर्ग फुट के इस ऑपरेशन थियेटर को एक स्मारक में बदल दिया गया है और यह आमजन के लिए खुला नहीं है। गांधीजी के जीवन की एक अहम घटना का साक्षी बने इस कमरे में ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल की गई एक मेज, एक ट्राली और कुछ उपकरण रखे हैं। इस कमरे में एक दुर्लभ पेंटिंग भी है जिसमें बापू के ऑपरेशन का चित्रण है।
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