Gita Press: गांधी शांति पुरस्कार पर सियासी घमासान, जयराम रमेश ने की आलोचना, BJP-Congress दोनों भड़के

Gita Press: गांधी शांति पुरस्कार पर सियासी घमासान, जयराम रमेश ने की आलोचना, BJP-Congress दोनों भड़के
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बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में एक बार फिर से बयानों की राजनीति शुरू हो गई है। गोरखपुर (Gorakhpur) स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस (Famous Geeta Press) को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) प्रदान किए जाने की घोषणा को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने आलोचना की है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पलटवार किया है।

बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में एक बार फिर से बयानों की राजनीति शुरू हो गई है। गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस (Geeta Press) को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) प्रदान किए जाने की घोषणा के बाद से ही विवाद जारी है। बता दें कि कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने पलटवार किया है। अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को आज आसानी से पढ़ा जा सकता है, इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है।

अमित शाह ने ये कहा

अमित शाह ने आगे कहा कि गीता प्रेस रामचरित मानस (Ramcharit Manas) से लेकर श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (Shrimad Bhagavad Gita) जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने के लिए पिछले 100 वर्षों से ज्यादा समय से कार्य कर रही है। गीता प्रेस को इन भागीरथ कार्यों के लिए गांधी शांति पुरस्कार 2021 दिया जा रहा है। गीता प्रेस को अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा।

जयराम रमेश ने की आलोचना

बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की है। जयराम रमेश ने कहा कि साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस को दिया जा रहा है, जो इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अक्षय मुकुल (Akshay Mukul) ने इस संस्थान की काफी अच्छी जीवनी लिखी है। जीवनी में इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया गया है। बता दें कि जयराम रमेश के बयान से कांग्रेस के कुछ नेता भी सहमत नहीं है। कांग्रेस ने इसे गैर जरूरी बताया है।

वहीं, इसको लेकर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने भी ट्वीट कर जयराम का विरोध किया है। सीएम हिमंत ने कहा कि कर्नाटक में जीत के साथ कांग्रेस अब खुले तौर पर भारत के सभ्यतागत मूल्यों और विरासत के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया है। कांग्रेस वाले धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए और गीता प्रेस की आलोचना करने के लिए लोग इस आक्रामकता का विरोध करेंगे।

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