Gita Press के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन, 90 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, सीएम योगी ने जताया शोक

Gita Press के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन, 90 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, सीएम योगी ने जताया शोक
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Baijnath Aggarwal passes away: धार्मिक पुस्तकों की छपाई के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध सबसे बड़े केंद्र गीता प्रेस के मुख्य ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का आज सुबह गोरखपुर में निधन हो गया है। सीएम योगी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

Baijnath Aggarwal passes away: गीता प्रेस (Geeta Press) गोरखपुर (Gorakhpur) के ट्रस्टी रहे बैजनाथ अग्रवाल (Baijnath Agarwal) का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे साल 1950 में गीता प्रेस ट्रस्ट के साथ जुड़े थे। शहर के सिविल लाइंस स्थित हरिओमनगर आवास पर शुक्रवार रात उन्होंने 90 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन शोक जताया है।

सीएम योगी ने जताया शोक

सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पोस्ट कर कहा कि गीता प्रेस, गोरखपुर के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन अत्यंत दुखद है। पिछले 40 सालों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ का जीवन सामाजिक जागरूकता और लोगों की भलाई के लिए समर्पित रहा है। उनके जाने से समाज को गहरी क्षति हुई है। प्रभु श्री राम दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोक संतप्त परिजनों एवं समस्त गीता प्रेस परिवार को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

गीता प्रेस इस साल गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित

केंद्र ने इस वर्ष की शुरुआत में गीता प्रेस, गोरखपुर को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया। गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा अपनाए गए आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। पुरस्कार में 1 करोड़ रुपये की राशि और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने 18 जून, 2023 को काफी विचार-विमर्श के बाद सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में बहुत योगदान के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर को वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में चुनने का फैसला लिया था। 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें छापी हैं। इनमें 16.21 करोड़ श्रीमद्भगवद गीता भी है।

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