Godhra Incident: 17 साल बाद SC से गोधरा कांड के दोषी को मिली जमानत, सुनाई गई थी फांसी की सजा, जानें वजह

गोधरा कांड के मामले में 17 साल से जेल में बंद है। दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी रहत दी है। कोर्ट ने दोषी फारूक को जमानत दे दी है। मामल गुजरात दंगों से जुड़ा हुआ हैं। जहां सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2002 के गोधरा (Godhra incident) ट्रेन जलाने के मामले में एक दोषी को जमानत दे दी है, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। वह पिछले 17 साल से जेल में बंद है। गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने फारूक को जमानत दे दी हैं।
दोषी फारूक को जलती ट्रेन पर पथराव का दोषी पाया गया था। फारूक ने ट्रेन पर पथराव किया ताकि लोग जलती ट्रेन से नीचे न उतर सकें और उनकी मौत हो जाए। कोर्ट ने कहा कि दोषी फारूक 2004 से जेल में बंद है। वह पिछले 17 साल से जेल में है। इसलिए उन्हें जमानत पर जेल से रिहा किया जाए।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान फारूक की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए गुजरात सरकार (Gujarat government) की ओर से पेश वकील जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उस पर सिर्फ पथराव का आरोप नहीं है, बल्कि यह जघन्य अपराध है। क्योंकि लोगों को पर पथराव कर जलती ट्रेन से बाहर नहीं निकलने दिया गया।
सुनाई गई थी फांसी की सजा
गौरतलब हैं कि 1 मार्च, 2011 को एक विशेष एसआईटी अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसमें दोषी फारूक (Accused Farooq) का नाम भी शामिल था। जबकि 81 को बरी कर दिया गया था। गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने 29 अप्रैल, 2015 को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद दोषी फारूक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर कोर्ट ने दोषी को फांसी की जगह उम्रकैद की साज में तब्दील कर दिया था।
ये हैं मामला
बता दें 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। इस घटना के बाद बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए थे। ट्रेन जलाने के मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जबकि 130 लोगों को दोषी बनाया गया था। इसके बाद 1 मार्च, 2011 को विशेष एसआईटी हाईकोर्ट (Special SIT High Court) ने 11 दोषियों को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि 81 को बरी कर दिया गया था।
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