सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लिए सरकार की मंजूरी

भारतीय सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार के मुताबिक सभी को समान अवसर मिलने के तहत अब महिलाओं को भी भारतीय सेना में सेवा करने का मौका मिलेगा।
केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को भारतीय सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब महिला को भी भारतीय सेना के विभिन्न पदों पर मौका दिया जाएगा।
Govt has issued formal sanction letter for grant of Permanent Commission to women officers in Indian Army, paving the way for empowering women officers to shoulder larger roles in the organisation: Indian Army spokesperson (1/3)
— ANI (@ANI) July 23, 2020
इन दसों विभागों पर महिलाओं को मिलेगा मौका
साथ ही सेना के शीर्ष पदों पर भी भर्ती की जाएगी। सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला अधिकारियों को भारतीय सेना में शामिल सभी दस विभागों में स्थायी कमीशन की इजाजत होगी।
इस दस विभागों में आर्मी एअर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और इंटेलिजेंस कॉर्प्स शामिल है। जिसे इन सभी विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाएगा।
इसके अलावा जज एंड एडवोकेट जनरल, आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स में भी यह सुविधा लागू होगी।
सेना प्रवक्ता ने बताया पुरुष की तरह अब महिला भी तैयार
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि महिला अधिकारियों के दक्ष को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। पुरुष की तरह अब महिला भी हर विभागों में कुशलतापूर्वक अपना जंग लड़ रही है। ऐसे में भारतीय सेना सभी महिला अधिकारियों को देश की सेवा करने का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था केंद्र सरकार को फटकार
जानकारी के लिए आपको बता दें कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए काफी दिनों से खींचतान चल रही थी। यह मामला काफी दिनों से सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा था। जहां दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी थी।
इस प्रस्ताव में कहा गया था कि केंद्र सरकार युद्ध क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमान देने के लिए बाध्य है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि महिलाओं को समाजिक और मानसिक का कारण बताकर इस मौका से दूर करना भेदभावपूर्ण है।
साथ ही ऐसा करना एक तरह से अस्वीकार्य भी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस कमीशन को बनाने के लिए सरकार को तीन महीने का वक्त दिया था। जिसे सरकार ने आखिरकार मंजूरी दे दी है।
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