गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर का बीजेपी पर हमला, बोले- यहां पर सिर्फ कागजों में शराबबंदी, शंकरसिंह वाघेला ने भी किया कटाक्ष

गुजरात (Gujarat) के बोटाद जिले (Botad district) में जहरीली शराब के सेवन से अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 49 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। गुजरात में शराबबंदी के बावजूद इस तरह की घटना सामने आने के बाद गुजरात पुलिस (Gujarat Police) हरकत में आ गई है। राजकोट-सूरत (Rajkot-Surat) जैसे शहरों में अवैध शराब के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है और भारी मात्रा में अवैध शराब बरामद की गई है।
गुजरात सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो वो बेहद चौंकाने वाले हैं। गुजरात सरकार ने 2 मार्च 2022 को गुजरात विधानसभा में आधिकारिक रूप से कहा कि गुजरात सरकार ने पिछले साल 215 करोड़ 62 लाख 52 हजार 275 रुपये मूल्य की विदेशी शराब की बोतलें जब्त की हैं। 4 करोड़ से अधिक की देशी शराब और 16 करोड़ से अधिक की बीयर जब्त की गई है। इसके अलावा राज्य में पिछले 2 साल में 606 करोड़ 41 लाख 84 हजार 847 मूल्य का नशीला पदार्थ जब्त किया गया है। जिसमें पुलिस ने 370 करोड़ की अफीम, चरस, गांजा, हेरोइन जब्त की है। जबकि नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल 4 हजार 46 आरोपियों की गिरफ्तारी होनी बाकी है।
यहां सिर्फ कागजों पर शराबबंदी है
इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'गुजरात में हर साल बिना रुके शराब बिकती है। यहां सिर्फ कागजों पर शराबबंदी है। इतनी बड़ी त्रासदी के बावजूद गुजरात की भाजपा सरकार शराबबंदी के मामले पर क्यों खामोश है? गुजरात पुलिस ने मंगलवार को विभिन्न शहरों में देशी शराब बनाने वाली भट्टियों पर छापेमारी कर करोड़ों रुपये की शराब जब्त की है। सूरत, राजकोट जैसे शहरों में भारी मात्रा में शराब मिली।
बोटाद में क्या हुआ था?
बोटाद जिले में जहरीली शराब के सेवन से अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है। गुजरात पुलिस के मुताबिक, इस घटना में एमोस नाम की कंपनी सामने आई है। यह कंपनी मिथाइल के कारोबार से जुड़ी है। गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अहमदाबाद से एमोस कंपनी के गोदाम मैनेजर जयेश उर्फ राजू को गिरफ्तार किया है। कहा जा रहा है कि राजू ने गोदाम से केमिकल निकाला था। पुलिस के मुताबिक गोदाम प्रबंधक जयेश ने अपने रिश्तेदार संजय को 60 हजार में 200 लीटर मिथाइल दी। तब संजय, पिंटू व अन्य ने इस केमिकल में अल्कोहल नहीं बनाया और सीधे लोगों को शराब के नाम पर केमिकल पाउच दे दिया. इस केमिकल को पीने से लोगों की मौत हो गई।
गुजरात को अब शराबबंदी के ड्रामे से बाहर निकलना चाहिए
गुजरात में केमिकल कांड से लोगों की मौत के बाद शराब पर से प्रतिबंध हटाने का मामला फिर से गरमा गया है। गुजरात में खुलेआम शराब का सेवन करने पर शराबबंदी के मुद्दे पर शंकरसिंह वाघेला फिर से मैदान में आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने फिर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि गुजरात में हर जगह शराब बिकती है। शराबबंदी सिर्फ नाम की है। नाममात्र का प्रतिबंध लगाने का क्या मतलब है? वाइब्रेंट गुजरात के नाम पर करोड़ों खर्च करके और गुजरात को वाइब्रेंट मोड पर रखकर गुजरात की इस सरकार को घटना से सबक लेना चाहिए कि शराबबंदी और नशा क्या है। यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी कई लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो चुकी है।
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