हरियाणा के बाद गुजरात और MP सरकार ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को किया Tax Free

हरियाणा के बाद गुजरात और MP सरकार ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स को किया Tax Free
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विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को अब कई राज्यों में टैक्स फ्री (Tax Free) किया जा रहा है।

अनुपम खेर और दर्शन कुमार स्टारर और विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को अब कई राज्यों में टैक्स फ्री (Tax Free) किया जा रहा है। हरियाणा के बाद गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को फिल्म द कश्मीर फाइल्स को राज्य में टैक्स-फ्री घोषित करते हुए कहा कि फिल्म को ज्यादा से ज्यादा लोगों को देखने की जरूरत है। आगे कहा कि फिल्म 1990 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के दर्द, पीड़ा, संघर्ष और आघात का दिल दहला देने वाली कहानी है। इस फिल्म को टैक्स फ्री करने का मतलब ज्यादा से ज्यादा लोगों को देखने के लिए किया गया है।

वहीं गुजरात सरकार ने भी फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने फिल्म डायरेक्टर को ऐसी फिल्म बनाने पर शुक्रिया कहा और टैक्स फ्री करने पर कहा कि अधिक से अधिक लोग पाकिस्तान द्वारा समर्थित इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा घाटी में कश्मीरी हिंदू नरसंहार की इस कहानी को देखना चाहिए। इससे पहले हरियाणा सरकार ने फिल्म को ट्रैक्स फ्री का ऐलान किया था।

फिल्म की कहानी

ये कहानी है कश्मीर के एक टीचर पुष्कर नाथ पंडित के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका रोल अनुपम खेर कर रहे हैं। कृष्णा बने हैं दर्शन कुमार जो अपने दादा पुष्कर नाथ पंडित की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए दिल्ली से कश्मीर आता है। कृष्णा अपने दादा के सबसे अच्छे दोस्त ब्रह्म दत्त यानी मिथुन चक्रवर्ती के साथ रहता है। उस दौरान पुष्कर के अन्य मित्र भी कृष्णा से मिलने आते हैं। इसके बाद फिल्म फ्लैशबैक में चली जाती है।

यह फ्लैशबैक में दिखाया गया है कि 1990 से पहले कश्मीर कैसा था। इसके बाद 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को धमकी दी गई और उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर करने की कहानी को दिखाया गया है। कृष्णा को नहीं पता कि उस दौरान उनके परिवार ने कितनी मुश्किलों का सामना किया। इसके बाद उनके सामने 90 के दशक की घटनाओं की परतें खुलती हैं और यह दिखाया जाता है कि उस दौरान कश्मीरी पंडितों को किस दर्द से गुजरना पड़ा। ये पूरी कहानी 90 के दशक के उस दर्द को बयां करती है।

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