Gujarat Riots मामले में आया फैसला, BJP नेत्री समेत सभी आरोपी बरी

गुजरात दंगों (Gujarat Riots) 2002 के नरोदा गाम (Naroda Gam) मामले में आज अहमदाबाद की एक विशेष अदालत फैसला सुना दिया है। 2002 में हुए इन दंगों में तकरीबन 11 लोगों की मौत हो गई थी। गुजरात दंगों के मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व विधायक और उस समय तत्कालीन मोदी सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी (Maya Kodnani) और बाबू बजरंगी (Babu Bajrangi) समेत कुल 86 लोग आरोपी थे। इन आरोपियों में से 18 की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई। अब अदालत ने इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
क्या था मामला
27 फरवरी, 2002 को अयोध्या से गुजरात पहुंची साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) में आग लगा दी गई थी, जिसमें 58 लोगों मर गए थे। इसके बाद गुजरात में दंगे (Gujarat Riots) फैल गए थे। इन मारे गए लोगों में अधिकतर कारसेवक थे। इसके एक दिन बाद अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम (Naroda Gam) इलाके में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी, जिसमें तकरीबन 11 लोग मारे गए थे। इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश सुरेश शाह ने शुरू की थी। इस दौरान तकरीबन 187 गवाहों की जांच की थी। साथ ही, 13 साल तक चले इस मामले में अब तक छह न्यायाधीश बदल चुके हैं। अब नरोदा गाम के मामले में 68 आरोपियों पर फैसला आ गया है।
अमित शाह ने भी दी थी गवाही
सितंबर 2017 में, भाजपा के नेता और वर्तमान में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि अमित शाह को यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह उस समय गुजरात विधानसभा में और बाद में सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं। कोडनानी ने कहा कि वह नरोदा गाम में नहीं गई थी।
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माया कोडनानी पर यह आरोप
गुजरात दंगों के नरोदा गाम (Naroda Gam) के मामले में माया कोडनानी पर दंगा, हत्या और हत्या के प्रयास के अलावा आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। नरोदा गाम में नरसंहार 2002 के नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों के मामलों में से एक था, जिसकी एसआईटी ने जांच की और विशेष अदालतों ने इस मामले की सुनवाई की।
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